भारतीय समाज के लिए एक और शर्मनाक खबर
है। भारत में हर चार में से करीब एक पुरुष अपने जीवन में एक न एक बार सेक्शुअल
क्राइम (यौन अपराध) करता है और हर पांच में से एक पुरुष अपनी पत्नी (या पार्टनर) को
सेक्स करने के लिए जबरदस्ती करता है। यह बात किसी फौरी आकलन में नहीं कही गई है,
ब्लकि एक इंटरनैशनल एजेंसी के सर्वे में भारतीय पुरुषों द्वारा खुद कबूल की गई है।
इंटरनैशनल मेन ऐंड जेंडर ईक्वलिटी सर्वे का हालिया स्टडी से भारतीय पुरुषों के बारे में यह खुलासा होता है। इंटरनैशनल स्तर पर देखा जाए तो सेक्शुअल वायलेंस में सबसे कम अपराध जिन जगहों पर देखा गया, उनमें ब्राजील ( 2% पुरुषों ने स्वीकारा) और चिली, क्रोशिया, मेक्सिको और रवांडा ( 9% से कम पुरुषों ने स्वीकारा) का नाम रहा।
लिंग समानता और व्यवहार के मुद्दे पर यह सर्वे दुनिया के चार विकासशील देशों में किया गया था। इंटरनैशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन विमिन ( ICRW ) के भारत और अमेरिका के रिसर्चरों और ब्राजील के इंस्टि्टयूटो प्रोमुंडो ने करीब 8 हजार पुरुषों और 3,500 महिलाओं पर यह सर्वे किया। सर्वे में 18 से 59 साल के लोगों को शामिल किया गया।
लिंग संबंधी न्याय करने वालों की सूची में पहले नंबर पर रहा क्रोशिया (82 परसेंट) जबकि ब्राजील, चिली और मेक्सिको से 50 परसेंट पुरुष इस श्रेणी में आए। इन देशों में सबसे कम विकास करने वाले देश रवांडा की हालत भी हमसे बेहतर पाई गई, यानी करीब 30 परसेंट पुरुष महिलाओं के प्रति न्यायसंगत रहने वालों की सूची में आए।
65% से ज्यादा भारतीय पुरुष मानते हैं कि महिलाओं को परिवार को एक साथ जोड़े रखने के लिए हिंसा बरदाश्त करनी चाहिए और कभी कभी महिलाएं पिटने वाले काम करती हैं। दुनिया भर की प्रतियोगिता परीक्षाओं में अपनी योग्यता का परचम फहराने वाले भारतीय पुरुष 'लिंग संबंधी न्याय के पक्षधर' के पैमाने पर काफी नीचे नजर आए। मात्र 17 परसेंट पुरुष ही इस कैटिगरी में शामिल हो पाए। सर्वे में शामिल 6 देशों में से भारत के पुरुष सबसे निचले पायदान पर खड़े हैं। 24 परसेंट पुरुषों ने यह स्वीकार किया कि उन्होंने जीवन में कभी न कभी सेक्शुअल वायलेंस किया है।
सर्वे में चौकांऊ तथ्य यह भी रहा कि हालांकि पुरुष घरों में मार पिटाई करते हैं लेकिन घर के बाहर वह आपराधिक कामों या मार पिटाई से दूर रहते हैं। घर के बाहर, केवल 4 परसेंट पुरुष लूट पाट और 7 परसेंट किसी प्रकार के हथियार के जरिए मार पीट करते हैं। ICRW के दिल्ली स्थित एशिया क्षेत्र के निदेशक रवि वर्मा ने कहा, 'भारतीय युवा पुरुष भी महिलाओं के प्रति नहीं बदल रहा है और उसमें महिलाओं की अपेक्षा धीमे बदलाव हो रहे हैं। वे अब भी पुराने जमाने में जी रहे हैं।'
सर्वे के लिए भारत में जिनका इंटरव्यू किया गया, उनमें से सेक्शुअल वायलेंस के संबंध में स्वीकारोक्ति करने वाले 1000 पुरुष तो अकेले दिल्ली से थे।
इंटरनैशनल मेन ऐंड जेंडर ईक्वलिटी सर्वे का हालिया स्टडी से भारतीय पुरुषों के बारे में यह खुलासा होता है। इंटरनैशनल स्तर पर देखा जाए तो सेक्शुअल वायलेंस में सबसे कम अपराध जिन जगहों पर देखा गया, उनमें ब्राजील ( 2% पुरुषों ने स्वीकारा) और चिली, क्रोशिया, मेक्सिको और रवांडा ( 9% से कम पुरुषों ने स्वीकारा) का नाम रहा।
लिंग समानता और व्यवहार के मुद्दे पर यह सर्वे दुनिया के चार विकासशील देशों में किया गया था। इंटरनैशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन विमिन ( ICRW ) के भारत और अमेरिका के रिसर्चरों और ब्राजील के इंस्टि्टयूटो प्रोमुंडो ने करीब 8 हजार पुरुषों और 3,500 महिलाओं पर यह सर्वे किया। सर्वे में 18 से 59 साल के लोगों को शामिल किया गया।
लिंग संबंधी न्याय करने वालों की सूची में पहले नंबर पर रहा क्रोशिया (82 परसेंट) जबकि ब्राजील, चिली और मेक्सिको से 50 परसेंट पुरुष इस श्रेणी में आए। इन देशों में सबसे कम विकास करने वाले देश रवांडा की हालत भी हमसे बेहतर पाई गई, यानी करीब 30 परसेंट पुरुष महिलाओं के प्रति न्यायसंगत रहने वालों की सूची में आए।
65% से ज्यादा भारतीय पुरुष मानते हैं कि महिलाओं को परिवार को एक साथ जोड़े रखने के लिए हिंसा बरदाश्त करनी चाहिए और कभी कभी महिलाएं पिटने वाले काम करती हैं। दुनिया भर की प्रतियोगिता परीक्षाओं में अपनी योग्यता का परचम फहराने वाले भारतीय पुरुष 'लिंग संबंधी न्याय के पक्षधर' के पैमाने पर काफी नीचे नजर आए। मात्र 17 परसेंट पुरुष ही इस कैटिगरी में शामिल हो पाए। सर्वे में शामिल 6 देशों में से भारत के पुरुष सबसे निचले पायदान पर खड़े हैं। 24 परसेंट पुरुषों ने यह स्वीकार किया कि उन्होंने जीवन में कभी न कभी सेक्शुअल वायलेंस किया है।
सर्वे में चौकांऊ तथ्य यह भी रहा कि हालांकि पुरुष घरों में मार पिटाई करते हैं लेकिन घर के बाहर वह आपराधिक कामों या मार पिटाई से दूर रहते हैं। घर के बाहर, केवल 4 परसेंट पुरुष लूट पाट और 7 परसेंट किसी प्रकार के हथियार के जरिए मार पीट करते हैं। ICRW के दिल्ली स्थित एशिया क्षेत्र के निदेशक रवि वर्मा ने कहा, 'भारतीय युवा पुरुष भी महिलाओं के प्रति नहीं बदल रहा है और उसमें महिलाओं की अपेक्षा धीमे बदलाव हो रहे हैं। वे अब भी पुराने जमाने में जी रहे हैं।'
सर्वे के लिए भारत में जिनका इंटरव्यू किया गया, उनमें से सेक्शुअल वायलेंस के संबंध में स्वीकारोक्ति करने वाले 1000 पुरुष तो अकेले दिल्ली से थे।
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