एक रिसर्च बताती है कि महिलाओं के लंबे समय तक जिम में
साइकलिंग करने का असर उनकी सेक्सुअल इन्जॉयमेंट पर पड़ता है। अब आप देखें कि आपको
क्या चूज करना है। टोन्ड लोअर बॉडी के लिए जिम में देर तक साइकलिंग करना आपके लिए
घाटे का सौदा भी हो सकता है। दरअसल, एक रिसर्च बताती है कि जिम में रेग्युलर
साइकलिंग करने वाली महिलाओं के पेल्विक एरिया में सेंसेशन कम हो जाता है। इससे
उन्हें पूरा सेक्सुअल इन्जॉयमेंट नहीं मिलता।
गौरतलब है कि यह रिसर्च येल यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स ने 48 महिलाओं पर की है। इसके नतीजे बताते हैं कि जिम में यूज होने वाली साइकिल का हैंडलबार नॉर्मल साइकिल से बहुत नीचे होने की वजह से इसका सीधा इफेक्ट सैक्सुअल प्लेजर पर पड़ता है। दरअसल, हैंडबार की लो पोजिशन ऐसी होती है, जिससे सारा प्रेशर जेनिटल एरिया की नर्व्स और ब्लड वेसल्स पर पड़ता है। लंबे समय तक पड़ने वाला यह प्रेशर बाद में सेक्सुअल सेंसेशन को कम कर देता है।
क्या हुआ रिसर्च में
रिसर्च में शामिल सभी महिलाओं से हर हफ्ते 10 मील की दूरी तक साइकलिंग करवाई गई। एक महीने तक से रिजल्ट नोट किए गए। यही नहीं, जब महिलाओं को स्टेशनरी मशीन पर साइकिलिंग करवाई, तो उनको जेनिटल एरिया में किसी भी तरह की टिंगलिंग, सॉरेन या सेंसुएशन के बारे में तुरंत बताने को कहा गया। यही नहीं, रिसर्चर्स ने पेल्विक एरिया में किसी भी तरह की सेंसुएशन को नोट करने के लिए प्रेशर मैप भी यूज किया।
इस सेंसेशन को माइक्रोज में नापा गया। साइंटिस्टों ने पाया कि हैंडलबार की लो पोजिशन की वजह से जब महिलाएं सीट पर बैठती हैं, तो सीट पर प्रेशर बढ़ जाता है, जबकि वैजाइनल के अंदरूनी हिस्से में प्रेशर कम पड़ता है, जिससे जेनिटल सेंसुएशन कम हो जाती है। इस प्रोसेस के रेग्युलर होने का असर सेक्सुअल सेंसेशन पर पड़ता है।
वैसे, 2006 में भी इस यूनिवर्सिटी की ओर से साइकलिंग और जेनिटल सेंसुएशन के कम होने पर रिसर्च की गई थी, लेकिन तब इसकी सही वजह वे नहीं जान पाए थे।
गौरतलब है कि यह रिसर्च येल यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स ने 48 महिलाओं पर की है। इसके नतीजे बताते हैं कि जिम में यूज होने वाली साइकिल का हैंडलबार नॉर्मल साइकिल से बहुत नीचे होने की वजह से इसका सीधा इफेक्ट सैक्सुअल प्लेजर पर पड़ता है। दरअसल, हैंडबार की लो पोजिशन ऐसी होती है, जिससे सारा प्रेशर जेनिटल एरिया की नर्व्स और ब्लड वेसल्स पर पड़ता है। लंबे समय तक पड़ने वाला यह प्रेशर बाद में सेक्सुअल सेंसेशन को कम कर देता है।
क्या हुआ रिसर्च में
रिसर्च में शामिल सभी महिलाओं से हर हफ्ते 10 मील की दूरी तक साइकलिंग करवाई गई। एक महीने तक से रिजल्ट नोट किए गए। यही नहीं, जब महिलाओं को स्टेशनरी मशीन पर साइकिलिंग करवाई, तो उनको जेनिटल एरिया में किसी भी तरह की टिंगलिंग, सॉरेन या सेंसुएशन के बारे में तुरंत बताने को कहा गया। यही नहीं, रिसर्चर्स ने पेल्विक एरिया में किसी भी तरह की सेंसुएशन को नोट करने के लिए प्रेशर मैप भी यूज किया।
इस सेंसेशन को माइक्रोज में नापा गया। साइंटिस्टों ने पाया कि हैंडलबार की लो पोजिशन की वजह से जब महिलाएं सीट पर बैठती हैं, तो सीट पर प्रेशर बढ़ जाता है, जबकि वैजाइनल के अंदरूनी हिस्से में प्रेशर कम पड़ता है, जिससे जेनिटल सेंसुएशन कम हो जाती है। इस प्रोसेस के रेग्युलर होने का असर सेक्सुअल सेंसेशन पर पड़ता है।
वैसे, 2006 में भी इस यूनिवर्सिटी की ओर से साइकलिंग और जेनिटल सेंसुएशन के कम होने पर रिसर्च की गई थी, लेकिन तब इसकी सही वजह वे नहीं जान पाए थे।
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