
एक मनोचिकित्सक की शोध के अनुसार पुरूष अपने पूरे जीवनकाल में कम से कम 14 अलग अलग “सेक्स साथी’ की जरूरत महसूस करते हैं, जबकि महिलाएँ एक या दो. डॉ. लुआन ब्रिजेनडाइन ने अपनी पुस्तक “Male Brain: A Breakthrough Understanding Of How Men And Boys Think” में पुरूषों के सेक्स संबंधित व्यवहार और इसके पीछे के मनोवैज्ञानिक और अनुवांशिक कारणों के बारे में लिखा है.
इस पुस्तक में कई ऐसी बातें लिखी गई हैं जो काफी चौंकाने वाली हैं. शायद इसलिए डॉ. ब्रिजेनडाइन कहती हैं कि – इसका अर्थ यह नहीं है कि पुरूषों को बलात्कार करने का एक और बहाना मिल जाए. यह सही है कि पुरूष जिनेटिक तौर पर सेक्स के प्रति अधिक उत्साहित होते हैं परन्तु उन्हें भी अपनी बायोलोजिक “कमी” के बारे में बात करने का अधिकार जरूर है.
इस पुस्तक में इसी बात की पुष्टि की गई है जो हमेशा से मानी जाती रही है – पुरूष सेक्स को लेकर काफी उत्साहित रहते हैं, वे अपनी भावनाओं को छिपा कर रखते हैं और वे धोखा देने में माहिर होते हैं.
डॉ. ब्रिजेनडाइन का मानना है कि पुरूषों के शरीर में मौजूद टेस्टोस्टेरोन उनमें एक प्रकार के नशे का संचार करते हैं – जिससे पुरूष सेक्स के प्रति उत्साहित रहते हैं. पुरूष के दिमाग का वह हिस्सा जो सेक्स की भावना जगाता है, वह महिलाओं के दिमाग के उसी प्रकार के हिस्से से करीब ढाई गुना अधिक बडा होता है.
महिलाएँ जहाँ फोरप्ले को अधिक महत्व देती है वहीं पुरूषों के लिए सम्भोग का महत्व अधिक होता है. इसके पीछे का बायोलोजिकल कारण यह हो सकता है कि स्खलन के दौरान पुरूषों के दिमाग में भारी मात्रा में ओक्सिटोसिन छूटता है जो उनके लिए आनंद और दर्दनिवारक का कार्य करता है.
डॉ. ब्रेजेनडाइन के अनुसार इसका अर्थ यह नहीं है कि पुरूष अपनी महिला मित्र या पत्नी से प्रेम नहीं करते हैं या मात्र सेक्स ही चाहते हैं, परंतु उनकी बायोलोजिकल सरंचना उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करती है.
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