Thursday, February 9, 2012

रॉयल लुक का जमाना

आने वाले समय में फैशन में बहुत सारे बदलाव होंगे। इस बार रॉयल लुक और ब्राइट रंग डिमांड में रहेंगे। बदलते फैशन पर एक्सपर्ट की राय

मौसम के बदलते ही फैशन गली में हलचल दिखने लगती है। अब साल 2012 के फैशन पर डिजाइनर्स जोर दे रहे हैं, क्योंकि जनवरी के बाद से तापमान में कमी आने लगती है और आगे शादियों का सीजन भी होता है। यानी समर कलेक्शन की तैयारी अभी से होने लगी है। इसलिए डिजाइनर्स नए कलेक्शन के साथ बाजार में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।

इस बार हमने भी अपने कलेक्शन में आने वाले मौसम को ध्यान में रख कुछ नया एक्सपेरिमेंट किया है। हम अपने सिग्नेचर वायब्रैंट और इनोवेटिव स्टाइल में समर कलेक्शन के तौर पर कुछ अनूठे स्टाइल पेश कर रहे हैं। कलेक्शन में ट्रेंड का ही नहीं बजट का भी खास ख्याल रखा है। परिधानों में रेट्रो-वेस्टर्न का टच दिया गया है। डे्रसेज में फ्यूजन का तड़का नयापन लिए होगा। 19वीं सदी के साथ मुगलई टच भी आपको कपड़ों में दिखेगा। कुर्तियां छोटी और फिटिंग की होंगी। सलवार में पटियाला व धोती स्टाइल वाली सलवार की मांग रहेगी। रेडीमेड कपड़ों पर जोर रहेगा। मेरे कहने का तात्पर्य साड़ी से है। प्लेट्स और पल्लू बनी साड़ियों के साथ-साथ लंहगे और सूट को काफी ईजी बनाया गया है, ताकि इसे आसानी से कैरी किया जा सके।

रंगों की बात करें, इस बार भी ब्राइट कलर फैशन में रहेंगे। पर्पल, फ्यूशिया, ग्रीन, ग्रे, ब्राउन इलैक्ट्रिकल ब्ल्यू, केली ग्रीन, स्कूबा, व्हाइट और खाकी को खास प्राथमिकता दी गई है। जहां तक फैब्रिक का सवाल है, तो जॉर्जेट, नेट विथ टेक्सचर, लाइक्रा, फ्लोरल नेट फै शन में रहेंगे। सिल्क को दूसरे फैब्रिक के साथ मिक्स किया गया है।

साड़ियों की जो भी वैरायटी आएगी, उसमें नेट टेक्सचर का खूब इस्तेमाल होगा। वहीं एम्ब्रॉयडरी में मुगलई और विक्टोरियन टच देखने को मिलेगा। ड्रेसेस के साथ बोल्ड एक्ससरीज जैसे बड़े-बड़े हूप्स, बैंगल्स फैशन में रहेंगे। साड़ियों के साथ हैवी ज्वैलरी का फैशन रहेगा। ये आपके लुक को रॉयल व ग्लैमरस बनाएंगे।

स्मार्ट मम्मी नो टमी!

वे दिन हवा हुए जब मां बनते ही कैरियर के साथ-साथ फिटनेस की भी ऐसी-तैसी हो जाती थी। पर आज समय बदल गया है। आज की महिलाएं जानती हैं कि मां बनना जीवन की सामान्य स्थिति है, इसलिए अपनी भावनात्मक व शारीरिक बदलावों को अनदेखा करने की जरूरत नहीं है

जब मीडिया में ऐश्वर्या रॉय बच्चन के प्रेग्नेंट होने की खबर आई, तो लोगों को लगा कि ऐश्वर्या के ग्लैमर का जादू अब देखने को नहीं मिलेगा। आखिर वो मां जो बन गई हैं। मां यानी गोल-मटोल पारंपरिक वेश और बच्चों की देखरेख में खुद को भुला देने वाली शख्सियत। पर उन अटकलों पर विराम लगाते हुए ऐश्वर्या फिर से सक्रिय होने के मूड में हैं। एक बेबी को जन्म देने के बाद ऐश्वर्या पहले जैसी लुक पाने के लिए सीनियर ट्रेनर की मदद ले रही हैं।

वो अब जल्द ही फिल्मों में वापसी कर रही हैं। हालांकि यह सच है कि शादी होते ही फिल्म इंडस्ट्री में हीरोइनों की डिमांड कम होने लगती है और बच्चे को जन्म देते ही कैरियर को गुड बाय करने का समय आ जाता है, लेकिन बदलते समय और कैरियर के प्रति सजग महिलाओं ने इस परिभाषा को बदल दिया है। दो बच्चों को जन्म देने के बाद धक-धक गर्ल माधुरी दीक्षित ने भी बॉलीवुड में वापसी की है। करिश्मा कपूर भी और ग्लैमरस होकर फिल्मों में वापसी के लिए तैयार हैं। मलाइका अरोड़ा खान ने मां बनने के बाद भी अपनी हॉट इमेज को बरकरार रखा है।

लटके-झटके वाले आइटम डांस ‘मुन्नी बदनाम हुई...’ से साबित कर दिया कि आइटम डांस आज भी उनके बिना अधूरे हैं। सोनाली बेंद्रे ने भी मां बनने के बाद फिर से अपनी ग्लैमरस छवि के बलबूते रियलिटी शो ‘टैलेंट हंट’ में जज की भूमिका निभाई। काजोल दो बच्चों की मां होकर स्लिम-ट्रिम हैं। रवीना टंडन, जूही चावला, नंदिता दास जैसी और कई अभिनेत्रियां हैं, जिन्होंने अपनी डाइट और फिटनेस का ख्याल रखकर अपने को चुस्त-दुरुस्त रखा है और कैरियर में सक्रिय भी हैं।

सच! आज की न्यू मॉम जानती हैं कि कैसे उसे मां बनने के अनोखे अनुभव को महसूस करते हुए अपने जीवन की डिमांड को भी तवज्जो देनी है। और यह तभी संभव है जब आप पोषक तत्वों से भरपूर सही और भरपूर डाइट लें। पूरी नींद लेने के साथ योगा और एक्सरसाइज भी करें। एक सर्वे में भी यह बात सामने आई है कि ग्रूमिंग आपके टैलेंट को और बेहतर बनाती है, साथ ही आपके अंदर आत्मविश्वास जगाती है। एक अन्य अध्ययन के अनुसार, टॉप की कॉरपोरेट कंपनियां अब अपने उन महिला कर्मचारियों को दोबारा बुलाने में ज्यादा रुचि ले रही हैं, जो प्रेग्नेंसी के कारण कैरियर ब्रेक ले चुकी हैं। कारण कंपनियां अपने उस कर्मचारियों को बेहतर समझती हैं।

मन का बंधन तोड़ें
मैक्स हॉस्पिटल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. समीर पारेख कहते हैं, ‘मां बनने का अनुभव दुनिया का सबसे अनोखा अनुभव है, मगर साथ ही आपका खुद का भी व्यक्तित्व है। इसे किसी एक रिश्ते में बांधकर जीने से जीवन बोझिल लगने लगता है। इसलिए मां बनने के बाद मेडिकल एडवाइस को नजरअंदाज न करें। यदि आप वर्किंग हैं और काम पर फिर वापस लौटना है, तो फिटनेस के प्रति लापरवाही बिल्कुल न बरतें। अपने बच्चे के प्रति ईमानदार रहें और उसे पर्याप्त समय दें। छुट्टियों में भी अपने डेली रुटीन को बनाए रखने की कोशिश करें। परिवारजनों और दोस्तों के साथ समय गुजारें और मस्ती करें। एक या दो बच्चों की मां हैं, यह सोचकर खुद को भूलने के बजाय एक-एक पल का भरपूर आनंद उठाइए व एंजॉय करिए।’ यदि आपकी पहली प्राथमिकता आपका बच्चा है, तो दूसरी प्राथमिकता में आपकी अपनी इच्छाएं और आकांक्षाएं भी होनी चाहिए। यदि आप असंतुष्ट रहेंगी, तो कभी भी दूसरों को संतुष्ट नहीं रख पाएंगी। अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए अपने प्रति भी ईमानदार बनिए। दिनचर्या का एक सामान्य टाइम टेबल बनाएं और उसे फॉलो करें। इससे आपका समय और एनर्जी दोनो बचेंगी।

बॉडी की फिटनेस पर दें ध्यान
फिटनेस एक्सपर्ट याश्मीन मनक कहती हैं, ‘आज फिटनेस प्री और पोस्ट डिलिवरी बेहद महत्वपूर्ण है। प्रेग्नेंसी के अलग-अलग सेमेस्टर में भिन्न प्रकार की एक्सरसाइज की जाती है। लेकिन कोई भी सेशन शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की राय जरूर लें। दूसरे बिना फिटनेस एक्सपर्ट के कोई एक्सरसाइज न करें। ब्रिस्क वॉक आप पूरे समय कर सकती हैं। आपका केस नॉर्मल है या सिजेरियन इस पर भी आपकी एक्सरसाइज निर्भर करती है। नॉर्मल डिलिवरी के दो या तीन सप्ताह के बाद कोई भी महिला वॉकिंग और स्ट्रेचिंग जैसी वर्कआउट शुरू कर खुद को फिट रख सकती है। मेरे पास ऐसी युवतियों की कमी नहीं, जो प्रेग्नेंसी से पहले ही एक्सरसाइज पर ध्यान देने लगती हैं। ऐसी महिलाओं को पहले की तरह शेप में आने में जरा भी देर नहीं लगती। अगर आप भी अपने शरीर के प्रति जागरूक हैं, तो हेल्दी तरीके अपनाकर फिट रह सकती हैं।’

योग का कोई नहीं तोड़
फिल्म एक्ट्रेस लारा दत्ता भी प्रेग्नेंट हैं और जल्द ही मां बनने वाली हैं। डिलिवरी से पहले से ही लारा योग की नियमित क्लासेज ले रही हैं, ताकि डिलिवरी नॉर्मल हो औैर उनकी फिटनेस भी सही रहे। लारा ने तो इसकी सीडी भी तैयार करवाई है ताकि इसका लाभ और लोग भी लें। कुछ बड़े हॉस्पिटल इस तरह कीक्लासेज उपलब्ध करवा रहे हैं, जहां आपको डिलिवरी से संबंधित सारी बातें बताई जाती हैं। डाइटिशियन शिखा शर्मा कहती हैं, ‘मैं अपने अनुभव से कह सकती हूं कि योग ही अकेला ऐसा सुरक्षित तरीका है, जो आपको फिट रहने में मदद करता है। बाकी वर्कआउट से आपको थकान हो सकती है, पर इससे नहीं। यह तन व मन दोनों को स्वस्थ रखता है। इसका असर बच्चे के विकास पर भी होता है। योग आप प्रेग्नेंसी के दौरान भी कर सकती हैं और इसके तुरंत बाद भी, लेकिन डॉक्टर की सलाह लेकर। यह न केवल आपको चुस्त रखता है, बल्कि प्रेग्नेंसी संबंधी समस्याओं को काफी हद तक कम भी करता है।’

सही डाइट, डाइटिंग नहीं
स्लिम-ट्रिम दिखने का मतलब यह कतई नहीं है कि आप जरूरी पोषक तत्वों को अपनी डाइट से निकाल फेंकें। डिलिवरी के बाद आपको और भी ज्यादा पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है, क्योंकि तब आप अपने बच्चे को फीड कर रही होती हैं। ऐसे में उसे भी जरूरी पोषक तत्व चाहिए। स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए जरूरी मिनरल्स, विटामिन्स, फाइबर के साथ कितना आयरन, कैल्शियम और प्रोटीन आपके लिए जरूरी है, यह जानने के लिए अपने डॉक्टर या डाइटिशियन की सलाह जरूर लें। कार्बोहाइड्रेट कितना लेना है और कब नहीं, यह भी जानें। जो डाइट दूसरे को फायदा दे रही हो, वह आपको भी फायदा पहुंचाए यह कतई जरूरी नहीं है। दूसरी तरफ लो-कैलोरी डाइट लेने का भी यह अर्थ नहीं कि आप उसे असीमित मात्रा में खा सकती हैं। ज्यादा भूखे रहने पर भी शरीर को इसकी आदत हो जाती हैं, इसलिए न कम खाना अच्छा है, न ही ज्यादा। यह बात हमेशा ध्यान रखिए कि डाइटिंग से वजन तो कम होता है, लेकिन शरीर में पानी और मसल्स दोनों की कमी हो जाती है। नतीजा होता है आलस, सिरदर्द और एकाग्रता में कमी, जो आपकी कार्यशैली को भी प्रभावित करती है।

कब और क्या करें
शिखा शर्मा कहती हैं,‘शरीर और दिमाग को स्वस्थ रखना है, तो संतुलित डाइट लेना बेहद जरूरी है। समय का अभाव है, यह बहाना कर जंक फूड को प्राथमिकता देना सेहत के साथ खिलवाड़ नहीं तो और क्या है? हेल्दी खाना न सिर्फ शरीर को फिट रखता है, बल्कि मन को भी स्वस्थ रखता है। ब्रेकफास्ट में जूस या अन्य मौसमी फल ले सकती हैं। रात का खाना हमेशा सोने से दो घंटे पहले ही लें। प्राणायाम और वॉक रोज करें। डिलिवरी के बाद कौन-सी एक्सरसाइज कब-कब करनी चाहिए और कितनी देर यह सब जानने के लिए एक्सपर्ट की सलाह जरूरी है। इस तरह फिटनेस से भरपूर मातृत्व आपके जीवन की खुशियों को बढ़ा देगा।’

सोने से पहले...

नींद सेहत के लिए बहुत जरूरी है। अब तक तो बड़े-बुजुर्गों से लेकर डॉक्टर तक, सबका यही कहना था। लेकिन हाल ही में मेसाच्युसेट्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने नींद के साइडइफेक्ट्स की तरफ ध्यान आकर्षित किया है। रिसर्च का आधार किसी बुरे हादसे के बाद व्यक्ति की भावनात्मक प्रतिक्रिया को बताया गया है। शोध कहता है कि कोई भी अप्रिय घटना होने या देखने के बाद अगर कोई व्यक्ति सो जाता है तो उसका नकारात्मक प्रभाव उसके दिमाग में स्टोर हो जाता है। जबकि ऐसे किसी हादसे के बाद अगर नींद न ली जाए तो इससे भावनात्मक रूप से उस घटना को भुलाने में मदद मिलती है।

न्यूरोसाइंटिस्ट रेबेका स्पेंसर और बेंगी बारन के मुताबिक ‘यह शोध उन लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण है जो किसी बुरे हादसे के बाद तनाव में हैं। एक्सीडेंट या इसी तरह की कोई अन्य घटना देखने के कुछ देर बाद आप फ्लेशबैक में वैसा ही सीन दोबारा देखते हैं, तब आपको उतनी तकलीफ नहीं होती। जबकि अगर कोई बुरी घटना देखने के बाद आप सो जाते हैं और फिर वैसा ही कुछ देखते हैं तो ये पहले की तुलना में काफी तकलीफदेय होता है। १८ से ३० साल की 68 महिलाओं और 38 पुरुषों पर नींद के साइडइफेक्ट जानने के लिए कुछ प्रयोग किए गए।

न्यूरोसाइंटिस्ट्स ने पोलीसोमनोग्राफ (स्लीप टेस्ट) की मदद से ये पता लगाने की कोशिश की कि नींद के दौरान सपने और दिमाग की अन्य गतिविधियों की वजह से भावनात्मक आघात की प्रक्रिया पर क्या असर पड़ता है। इस दो स्तरीय प्रयोग के दौरान प्रतिभागियों को कंप्यूटर स्क्रीन पर कुछ पिक्चर दिखाए गए। इसके बाद 1-9 के स्के ल पर पिक्चर्स को दुखी और खुश या शांत और उत्साहजनक का टाइटल टैग देने के लिए कहा गया। बारह घंटे बाद प्रतिभागियों को कुछ नई और कुछ पहले दिखाई जा चुकी पिक्चर दोबारा दिखाई गईं। इसके बाद दोबारा उन पिक्चर्स को रेट करने के लिए कहा गया।

शोधकर्ताओं ने पाया कि नींद का प्रतिभागियों की भावनाओं और याददाश्त पर काफी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। शोधकर्ताओं के अनुसार इस प्रयोग के नतीजे अब तक किए गए शोध के निष्कर्षों से उलट है। इससे पहले किए गए शोध कहते हैं कि सोने के बाद बुरी बातों को भूलने में मदद मिलती है। जबकि ताजा शोध के अनुसार नींद काफी बुरा रोल निभाती है। यह शोध न्यूरोसाइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

पैसा-पैसा करते हो

पैसा खुदा तो नहीं, लेकिन खुदा से कम भी नहीं। शायद यही कारण है कि एक तिहाई लोगों को नींद न आने के कारणों में पैसा अहम होता है। एक ताजा अध्ययन से इस बात का खुलासा हुआ है। पैसे की तंगी का असर कामकाज, रिलेशनशिप, हैल्थ और पार्टनर के खर्राटों से भी अधिक होता है।

लोगों के दिलो-दिमाग पर पैसे की कमी इस हद तक हावी हो जाती है कि उन्हें नींद तक नहीं आती। अध्ययन के अनुसार ब्रिटेन के एक तिहाई लोग आर्थिक तंगी के कारण चैन भरी नींद भी नहीं ले पाते। संडे की छुट्टी तो और भी तनाव भरी होती है, क्योंकि इस दिन आने वाले सप्ताह को लेकर दिमाग में उलझन बनी रहती है।

ज्यादातर लोग रात के दो-तीन बजे भी उठकर बैठ जाते हैं। 30 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जो ऊंघते रहते हैं, लेकिन टेंशन से सो नहीं पाते। जेब खाली हो तो निजी जीवन पर भी असर पड़ता है, यही कारण है कि पांच में से एक व्यक्तियों को लव लाइफ और ब्रेक-अप की टेंशन होती है। प्रीमियर इन होटल्स द्वारा किए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि 10 में से तीन लोगों के चेहरे पर नींद न आने का असर साफ दिखाई देता है, क्योंकि उनके चेहरे मुरझा जाते हैं।

कार के हार्न या फिर कुत्ते की भौंकने की आवाज से भी लोगों को इतना चिड़चिड़ापन नहीं होता, जितना कि मानसिक हलचल के कारण होता है। जबकि मोबाइल की बीप, रिंग या फिर फ्लैश से 20 में से एक व्यक्तियों को जरूर परेशानी होती है, क्योंकि इसमें भी कामकाज या फिर पैसे से जुडे़ संदेश होते हैं। 2000 लोगों पर किए गए इस सर्वेक्षण के अनुसार मानसिक परेशानी के कारण लोग या तो बहुत गुस्सैल हो जाते हैं, या फिर बेहद सुस्त हो जाते हैं।

प्रीमियर इन के प्रवक्ता क्लेयर हेग कहते हैं कि-रात को नींद न आना हर किसी की जिंदगी को आज प्रभावित कर रहा है। वे बताते हैं कि इसका असर हमारे कामकाज और प्रदर्शन पर पड़ रहा है। क्लेयर के अनुसार लोगों को इस बाद से बेहद तकलीफ होती है कि जो काम वे करना चाहते हैं, वह पैसे की कमी के कारण पूरा नहीं होता।

रात को बिस्तर पर जब आराम करने के लिए हम जाते हैं तो परिस्थितियां वास्तविकता से भी अधिक खराब नजर आने लगती हैं। क्लेयर का कहना है कि रात को सोने से पहले दिन भर की बातों को भुलाकर भरपूर नींद लेने की कोशिश करना सेहत के लिए बेहतर होता है।

असहज महिलाएं

हाल ही में किए गए एक सर्वे में पता चला है कि महिलाएं पार्टी में अपने साथियों से बात करते हुए असहज महसूस करती हैं।

शोध कहता कि पार्टी में परस्पर बात करते वक्त पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं का बौद्धिक स्तर कमजोर पड़ जाता है, जिस कारण ऐसा होता है। ह्यूमन न्यूरोइमेजिंग लैब के निदेशक रीड मोंटेग के अनुसार संयुक्त राज्य में किए गए इस शोध में महिला एवं पुरुषों को समूहों में बांटकर परीक्षण किये गये।

नतीजे में पता चला कि समूह में लोगों की संख्या बढ़ने पर महिलाएं असहज हो जाती हैं। इस शोध से जुड़े केनेथ किशिदा कहते हैं कि सामाजिक दबाब से पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक विचलित होती हैं।

प्यार का ट्वीस्ट

प्यार में अचानक आए ट्वीस्ट का कारण क्या है? आखिर ऐसा क्या गलत हुआ कि एक अच्छा रिश्ता खराब मोड़ पर पहुंच गया। ज्यादा सोचिए मत। बस कुछ सवालों के जवाब दीजिए।

ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न की रहने वाली एक महिला ने ऐसा एप्लीकेशन बनाया है जो आपको डेटिंग के दौरान की गई गलतियों के बारे में बताएगा। एप में आपसे मुलाकात से जुड़े कुछ सवाल पूछे जाएंगे। इस एप का नाम है वाटवेन्टरांग। इसे हाल ही में लांच किया है आड्रे मेलनिक ने ।

वाटवेन्टरांग केसदस्यों ने बताया कि वो लोगों की व्यक्तिगत जानकारी को सार्वजनिक नहीं करेंगे और उनकेसवालों केजवाब वो ई-मेल और मैसेज के जरिए उन तक पहुंचा देंगे पहली मुलाकात में बुरे अनुभव से गुजरे लोगों को कंपनी आकर्षक और नए डेटिंग इडिया देगी जिससे वो दोबारा ऐसी गलतियों के शिकार न हों।

लव ऑन हाइटेक

जब हर तरफ मोहब्बत का इजहार हो रहा है, आपको भी इंतजार होगा इस इजहार के कुछ अलग अंदाज का। तो फिर आज के डिजिटल युग में थोड़ा हाइटेक सोचने में कोई बुराई नहीं है। आपके टेक्नोफ्रेंडली पार्टनर के लिए पेश हैं कुछ यादगार गिफ्ट्स के विकल्प। हिमानी दीवान की एक रिपोर्ट

टेंगू यूएसबी
कभी-कभी पीसी पर घंटों काम करते रहना बेहद बोरियत और अकेलेपन वाला अनुभव हो जाता है। आप हर वक्त अपने पार्टनर के साथ भी नहीं रह सकते। तो क्यों न कुछ ऐसा गिफ्ट दिया जाए, जिससे उनकी बोरियत भी दूर हो और आपका अहसास भी बना रहे। इस गिफ्ट का नाम है टेंगू। टेंगू एक यूएसबी पावर कैरेक्टर है जो तरह तरह के चेहरे बना सकता है आवाज निकाल सकता है। ये एक फनी कैरेक्टर है जो बोरियत को आपके आसपास से बिल्कुल डिलीट कर देता है। इसे इस्तेमाल करने के लिए किसी तरह का साफ्टवेयर इंस्टाल करने की जरूरत नहीं है। अब इसका नाम टेंगू क्यों है। दरअसल टेंगू जापानी कथाओं का एक एक नटखट कैरेक्टर है। पार्टनर के चेहरे पर हंसी आ जाए, इससे प्यारा गिफ्ट और कुछ नहीं हो सकता और टेंगू तो हंसी की गांरटी देता है।

लेंस ब्रेसलेट
कुछ रोमांटिक गिफ्ट देना चाहते हैं। शुरुआत में ही जूलरी वगैरह देना जरा जल्दी होगी। तो एक हाइटेक गिफ्ट दीजिए, जो हो सकता है एक लेंस ब्रेसलेट। ये तरीका है, कैमरा अपनी कलाई पर पहनने का । खासतौर पर उन लोगों के लिए डिजाइन किया गया है जिन्हें कैमरे का खास शौक है। ये साफ्ट सिलिकन ब्रेसलेट लेंस के केंद्र में आने वाली चीजों का प्रतिरूप है। खासी डिजाइनिंग के साथ इसमें लगा है 50 मिमी का एक एएफ-एमएफ स्वीच। ये ब्रेसलेट यूनिवर्सल साइज में डिजाइन किए गए है, जिन्हें कोई भी पहन सकता है। सबके पसंदीदा लेंस अलग अलग होते हैं, इसलिए आप उसी हिसाब से फोकल लेंथ चुन सकते हैं। इसमें आप 24 से 70 एमएम तक चुन सकते हैं। इस रेंज में सभी तरह की सुविधाएं मिल जाती हैं।


ऑफग्रिड सोलर बैकपैक
क्या आपके पार्टनर को इलेक्ट्रानिक डिवाइस बहुत पसंद हैं? क्या वो एक समय में कई काम करना पसंद करते हैं? और क्या वो पिट्ठू बैग का इस्तेमाल करते हैं? अगर इन तीनों सवालों का जवाब हां है तो फिर आपको यही गिफ्ट देना चाहिए। ऑफग्रिड सोलर बैकपेक। इसमें लेपटॉप, सेलफोन और दूसरी तरह के कई गैजेट सुरक्षित तरीके से रखे जा सकते हैं। कमाल की बात ये हैं कि ये सभी बैग पर लगे सोलर पावर पैक से चार्ज भी हो जाएंगे। एक दूसरे की जरूरतों का ध्यान रखना भी तो प्यार का ही एक नाम है, ऐसे में ये आपके टेक्नोफ्रेंडली पार्टनर के लिए परफेक्ट गिफ्ट होगा।


हेडफोन
संगीत पसंद करने वालों को हेडफोन मिल जाए तो क्या बात है। सारी दुनिया को भूल बस आपके इस गिफ्ट के साथ जब वो वक्त बिताएंगे तो आप को साथ ही पाएंगे। पीसी हो या एमपी थ्री या फिर कोई दूसरा ऑडियो आउटपुट किसी भी डिवाइस के साथ हेडफोन इस्तेमाल किया जा सकता है।