नींद सेहत के लिए बहुत जरूरी है। अब तक तो बड़े-बुजुर्गों से लेकर डॉक्टर तक, सबका यही कहना था। लेकिन हाल ही में मेसाच्युसेट्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने नींद के साइडइफेक्ट्स की तरफ ध्यान आकर्षित किया है। रिसर्च का आधार किसी बुरे हादसे के बाद व्यक्ति की भावनात्मक प्रतिक्रिया को बताया गया है। शोध कहता है कि कोई भी अप्रिय घटना होने या देखने के बाद अगर कोई व्यक्ति सो जाता है तो उसका नकारात्मक प्रभाव उसके दिमाग में स्टोर हो जाता है। जबकि ऐसे किसी हादसे के बाद अगर नींद न ली जाए तो इससे भावनात्मक रूप से उस घटना को भुलाने में मदद मिलती है।
न्यूरोसाइंटिस्ट रेबेका स्पेंसर और बेंगी बारन के मुताबिक ‘यह शोध उन लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण है जो किसी बुरे हादसे के बाद तनाव में हैं। एक्सीडेंट या इसी तरह की कोई अन्य घटना देखने के कुछ देर बाद आप फ्लेशबैक में वैसा ही सीन दोबारा देखते हैं, तब आपको उतनी तकलीफ नहीं होती। जबकि अगर कोई बुरी घटना देखने के बाद आप सो जाते हैं और फिर वैसा ही कुछ देखते हैं तो ये पहले की तुलना में काफी तकलीफदेय होता है। १८ से ३० साल की 68 महिलाओं और 38 पुरुषों पर नींद के साइडइफेक्ट जानने के लिए कुछ प्रयोग किए गए।
न्यूरोसाइंटिस्ट्स ने पोलीसोमनोग्राफ (स्लीप टेस्ट) की मदद से ये पता लगाने की कोशिश की कि नींद के दौरान सपने और दिमाग की अन्य गतिविधियों की वजह से भावनात्मक आघात की प्रक्रिया पर क्या असर पड़ता है। इस दो स्तरीय प्रयोग के दौरान प्रतिभागियों को कंप्यूटर स्क्रीन पर कुछ पिक्चर दिखाए गए। इसके बाद 1-9 के स्के ल पर पिक्चर्स को दुखी और खुश या शांत और उत्साहजनक का टाइटल टैग देने के लिए कहा गया। बारह घंटे बाद प्रतिभागियों को कुछ नई और कुछ पहले दिखाई जा चुकी पिक्चर दोबारा दिखाई गईं। इसके बाद दोबारा उन पिक्चर्स को रेट करने के लिए कहा गया।
शोधकर्ताओं ने पाया कि नींद का प्रतिभागियों की भावनाओं और याददाश्त पर काफी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। शोधकर्ताओं के अनुसार इस प्रयोग के नतीजे अब तक किए गए शोध के निष्कर्षों से उलट है। इससे पहले किए गए शोध कहते हैं कि सोने के बाद बुरी बातों को भूलने में मदद मिलती है। जबकि ताजा शोध के अनुसार नींद काफी बुरा रोल निभाती है। यह शोध न्यूरोसाइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
Thursday, February 9, 2012
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