Thursday, February 9, 2012

पैसा-पैसा करते हो

पैसा खुदा तो नहीं, लेकिन खुदा से कम भी नहीं। शायद यही कारण है कि एक तिहाई लोगों को नींद न आने के कारणों में पैसा अहम होता है। एक ताजा अध्ययन से इस बात का खुलासा हुआ है। पैसे की तंगी का असर कामकाज, रिलेशनशिप, हैल्थ और पार्टनर के खर्राटों से भी अधिक होता है।

लोगों के दिलो-दिमाग पर पैसे की कमी इस हद तक हावी हो जाती है कि उन्हें नींद तक नहीं आती। अध्ययन के अनुसार ब्रिटेन के एक तिहाई लोग आर्थिक तंगी के कारण चैन भरी नींद भी नहीं ले पाते। संडे की छुट्टी तो और भी तनाव भरी होती है, क्योंकि इस दिन आने वाले सप्ताह को लेकर दिमाग में उलझन बनी रहती है।

ज्यादातर लोग रात के दो-तीन बजे भी उठकर बैठ जाते हैं। 30 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जो ऊंघते रहते हैं, लेकिन टेंशन से सो नहीं पाते। जेब खाली हो तो निजी जीवन पर भी असर पड़ता है, यही कारण है कि पांच में से एक व्यक्तियों को लव लाइफ और ब्रेक-अप की टेंशन होती है। प्रीमियर इन होटल्स द्वारा किए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि 10 में से तीन लोगों के चेहरे पर नींद न आने का असर साफ दिखाई देता है, क्योंकि उनके चेहरे मुरझा जाते हैं।

कार के हार्न या फिर कुत्ते की भौंकने की आवाज से भी लोगों को इतना चिड़चिड़ापन नहीं होता, जितना कि मानसिक हलचल के कारण होता है। जबकि मोबाइल की बीप, रिंग या फिर फ्लैश से 20 में से एक व्यक्तियों को जरूर परेशानी होती है, क्योंकि इसमें भी कामकाज या फिर पैसे से जुडे़ संदेश होते हैं। 2000 लोगों पर किए गए इस सर्वेक्षण के अनुसार मानसिक परेशानी के कारण लोग या तो बहुत गुस्सैल हो जाते हैं, या फिर बेहद सुस्त हो जाते हैं।

प्रीमियर इन के प्रवक्ता क्लेयर हेग कहते हैं कि-रात को नींद न आना हर किसी की जिंदगी को आज प्रभावित कर रहा है। वे बताते हैं कि इसका असर हमारे कामकाज और प्रदर्शन पर पड़ रहा है। क्लेयर के अनुसार लोगों को इस बाद से बेहद तकलीफ होती है कि जो काम वे करना चाहते हैं, वह पैसे की कमी के कारण पूरा नहीं होता।

रात को बिस्तर पर जब आराम करने के लिए हम जाते हैं तो परिस्थितियां वास्तविकता से भी अधिक खराब नजर आने लगती हैं। क्लेयर का कहना है कि रात को सोने से पहले दिन भर की बातों को भुलाकर भरपूर नींद लेने की कोशिश करना सेहत के लिए बेहतर होता है।

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