गर्ल्स स्कूल असोसिएशन(जीएसए)के इस सर्वे में 1000 से ज्यादा पेरंट्स को शामिल किया गया। इसमें करीब एक तिहाई पेरंट्स ने माना कि उन्हें अपने बच्चों के साथ इस तरह की बातचीत काफी मुश्किल लगती है। सर्वे से यह भी सामने आया है कि तकरीबन सात में एक माता-पिता टीनएज में बॉडी में आने वाले चेंज के बारे में भी अपनी बेटियों से बात नहीं कर पाते। कई लोगों का कहना था कि बच्चों से सेक्स जैसे सब्जेक्ट पर बातचीत करना वाकई बहुत मुश्किल है। लेकिन मां अपने बच्चों के ज्यादा नजदीक होती है। इस बात को शोध के नतीजों ने भी साबित कर दिया है। सर्वे के अनुसार अपनी बेटियों से मॉम्स किसी भी मुद्दे पर खुलकर बात कर सकती हैं। हालांकि अब ममी बन चुकी महिलाएं जब खुद बेटियां थीं तो उन्हें अपने माता-पिता से इस बारे में बात करने में हिचक और घबराहट होती थी। यह सर्वे गर्ल्स र्स्कूल असोसिएशन की नई वेबसाइट लॉन्च करने के मकसद से किया गया था।
बेडफोर्ड में डेम एलाइस हरपुर स्कूल के हेड और जीएसए के नए अध्यक्ष जिल बेरी ने कहा, 'मोबाइल पर टेक्सट मेसिज भेजने की सहूलियत और ई-मेल से अब मां-बेटी का रिश्ता कहीं ज्यादा मजबूत हो चुका है। इससे उनके बीच होने वाली बातचीत से औपचारिकता खत्म हो गई है।' एक अखबार ने जिल बेरी के हवाले से लिखा, 'नई पीढ़ी के पेरंट्स और किड्स दोनों के खयालात में अहम बदलाव आया है। अब दोनों एक दूसरे के ज्यादा करीब आए हैं और उनमें खुलकर बातचीत होती है।'
जीएसए के सर्वे के अनुसार कुछ पेरंट्स तो अपनी बेटियों से सिगरेट पीने के बारे में भी कोई बात नहीं करना चाहते। जबकि 39 फीसदी माता-पिता को लड़कियों से सेक्स और रिलेशनशिप के बारे में बातचीत करना अजीब सा लगता है। 15 फीसदी पेरंट्स यंग एज में शरीर में आने वाले बदलाव पर अपने बच्चों से कोई बात ही नहीं करना चाहते। इससे यह नहीं समझना चाहिए कि माता-पिता अपने बच्चों को प्यार ही नहीं करते और उनके साथ समय नहीं बिताते। एक तिहाई पेरंट्स एक दिन में अपने बच्चों के साथ साढ़े ग्यारह घंटे का वक्त बिताते हैं। जबकि तीन फीसदी पेरंट्स के पास अपनी बेटियों के लिए टाइम ही नहीं होता।
25 फीसदी से ज्यादा लोग अपनी बेटियों के साथ वीकएंड पर करीब दो घंटे का समय बिताते हैं। जीएसए की नई वेबसाइट पर फ्रेंडशिप, स्कूल वर्क और कम्यूनिकेशन पर ब्रिटेन के स्कूलों की टॉपर लड़कियों और हेड मिस्ट्रेस ने भी जरूरी टिप्स और सलाह दी है। इसमें शराब पीने से लड़कियों को रोकने के लिए पेरंट्स को कुछ जरूरी सुझाव दिए गए हैं। कैसे बच्चों में आत्मविश्वास लाएं और किस तरह उनसे सेक्स जैसे सब्जेक्ट पर बातचीत की शुरुआत करें। सर्वे से यह सामने आया कि ज्यादातर पेरंट्स को अपनी बेटियों के लिए क्वॉलिटी एजुकेशन की फिक्र है। इसके बाद वह अपनी बेटियों में बुरी आदतों, जैसे शराब और ड्रग्स को लेकर सबसे ज्यादा चिंतित दिखे।