खजुराहो। विश्व धरोहर कलातीर्थ खजुराहो का नामकरण सदियों पूर्व खजुराहो में लगे दो स्वर्ण-वर्ण के खजूर के पेड़ों के कारण पहले खर्जूरवाहक फिर खजुराहा, खजूरवाटिका, खजूरपुरा और अंत में खजुराहो पड़ा।
वरिष्ठ गाइड बृजेंद्र सिंह ने बताया कि खजुराहो के इतिहास में ऐसा वर्णन मिलता है कि खजुराहो नाम, ‘खर्जूरवाहक’ तथा ‘खजुराहा’ का परिवर्तित रूप है। इतिहासकार कनिन्घम ने एक शिलालेख का उल्लेख करते हुए इसका मूल नाम खजूरवाटिका बताया जो खजूवाटिका, खजुराहा, खजूरपुरा होते-होते खजुराहो हुआ। चीनी यात्री ह्यूनसांग ने भी खजुराहो नाम का उल्लेख किया और जाहुति राज्य की राजधानी बताया।
सन 1031 में अलबरनी ने इसका उल्लेख किया और सन 1335 में इब्नबतूता ने लिखा कि खजूरा में तालाब के किनारे मंदिर बने थे। अन्य इतिहासकार खजुराहो के नाम की उत्पत्ति के संबंध में बताते हैं कि पहले नगर के द्वार पर प्रवेशद्वार को अलंकृत करते हुए दो स्वर्ण-वर्ण के खजूर के वृक्ष थे इसी से यहां का नाम खजुराहो पड़ा।
कुछ लोग इस नगर को खजूर के पेड़ों के मध्य स्थित होने के कारण इसे खजूर से जुडे हुए नामों के परिवर्तित नाम के रूप में देखते हैं।
यद्यपि आज खजुराहो में खजूर के पेड़ बहुत कम हैं और इतिहास जानने वाले प्राचीन नाम की सार्थकता सिद्व करने के लिए लोगों को खजूर के पेड़ लगाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं और एक बडे़ होटल समूह ने प्रयास करके खजूर के पेड़ लगाए हैं जिसके नीचे रोज पूजा-आरती होती है।
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