Tuesday, September 1, 2009

स्वाइन फ्लू से शिशु को बचाएँ – स्तनपान कराएँ


क्या स्वाइन फ्लू से ग्रस्त माता को अपने शिशु को स्तनपान कराना चाहिए? जवाब है हाँ. और इसके पीछे की मूल वजह यह है कि यदि माता को स्वाइन फ्लू है तो बहुत सम्भव है कि उसके शिशु को भी यह बिमारी लग चुकी होगी चाहे वह उसे स्तनपान कराए या नहीं.

ब्रैस्टफीडिंग प्रोमोशन नेटवर्क ऑफ इंडिया और वर्ल्ड एलायंस फोर ब्रैस्टफीडिंग एक्शन ने स्वाइन फ्लू से ग्रस्त माता द्वारा स्तनपान कराए जाने का समर्थन किया है.

स्तनपान शिशु की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढाता है. माता के दूध की वजह से शिशु का शरीर इस तरह के इंफैक्शन से लड़ने के लिए ताकत हासिल करता है. इसलिए इंफ्लूएंजा जैसी बिमारियों से बचाव के लिए स्तनपान कराना अतिआवश्यक है.

यदि माँ के शरीर में किसी खास बिमारी से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता ना हो तो भी उसके दूध से शिशु वह क्षमता प्राप्त कर सकता है.

चिकित्सकों का तो यहाँ तक कहना है कि स्वाइन फ्लू के फैलाव के दौरान माता को स्तनपान कराने की मात्रा बढा देनी चाहिए.

स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए शिशु के आसपास का वातावरण स्वच्छ रखना चाहिए और अपने हाथों को लगातार धोते रहना चाहिए. यह ध्यान रहे कि कम से कम लोग शिशु के पास जाए और जो भी उसे हाथ लगाए उसके हाथ धुले हुए हों.

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