Tuesday, July 14, 2009

चीन 2012 तक भारत पर हमला करेगा?

एक शीर्ष रक्षा विशेषज्ञ भारत वर्मा के अनुसार चीन भारत पर हमला कर सकता है. वर्मा ने अपनी बात 'इंडियन डिफेंस रिव्यू' में लिखी है.

वर्मा के अनुसार चीन आंतरिक असंतोष, बढ़ती बेरोजगारी और वित्तीय समस्याओं से लोगों का ध्यान हटाने के लिए 2012 तक भारत परहमला कर सकता है.

लेकिन भारत ही क्यों? इसका जवाब यह है कि भारत चीन के लिए आसान शिकार है. चीन जापान और दक्षिण कोरिया पर हमला नही करना चाहेगा, लेकिन भारत पर हमला करने से उसके कई मकसद सिद्ध होते हैं. चीन भारत के उत्तरपूर्व पर हमला कर अरूणाचल प्रदेश कब्जाना चाहेगा.

चीन पाकिस्तान के हाशिए पर जाने से निराश है और अब वह भारत पर निर्णायक हमला करना चाहेगा.

“लव हार्मोन” जो अजनबियों को बनाता है प्रेमी

ओक्सिटोसिन, जिसे “लव हार्मोन” भी कहा जाता है अजनबी व्यक्तियों को भी भरोसेमंद बना सकता है और हम उनसे प्रेम भी करने लग जाते हैं. ऑक्सिटोसिन ही वह हार्मोन है जिसके वजह से माँ अपने नवजात शिशु से प्रेम करने लगती और पति पत्नी लम्बे काल के बाद भी एक दूसरे के बिना रह नहीं पाते हैं.

वैज्ञानिकों ने एक प्रयोग के द्वारा सिद्ध किया है कि ओक्सिटोसिन का डोज लेने ने अजनबी व्यक्ति भी भरोसे के लायक लगने लगते हैं.

यूके की ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के एंजेलिकी थेओदोरिदु के अनुसार, जब रक्त में ओक्सिटोसिन की मात्रा बढ जाती है तब हम अनजाने लोगों को भी पसंद करने लगते हैं.

वैज्ञानिकों ने अपने प्रयोग के लिए 96 पुरूषों और महिलाओं पर प्रयोग किया. इनमें से कुछ लोगों को ऑक्सिटोसिन हार्मोन का डोज दिया गया था.

इसके बाद जिन लोगों ने ऑक्सिटोसिन का डोज लिया उन्होनें अनजाने लोगों की तस्वीरों को देखकर उन्हें आकर्षक और विश्वासपात्र माना. जिन लोगों ने ओक्सिटोसिन का डोज नहीं लिया था उन लोगों मे यह दर काफी कम थी.

भविष्य में इस तरह के और भी प्रयोग होंगे और उनसे कई और नई बातें पता चलेंगी.

चेहरा पहचानने में बंदर इंसानों के बराबर

वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि बंदर और इंसानों के द्वारा चेहरा पहचानने की तकनीक एक ही है. चेहरा पहचान इंसान के सामाजिक जीवन का एक बेहद महत्वपूर्ण भाग है. हम इंसान हजारों चेहरों में से अपने मित्र तथा परिवार के व्यक्ति को पहचान लेते हैं. यह प्रक्रिया इतनी तेज होती है और हम सेकंड के कुछ हिस्से में ही मित्र और दुश्मन में भेद कर पाते हैं.

वैज्ञानिकों का मानना है कि इंसानों में चेहरों का गुणात्मक अध्ययन करने की नैसर्गिक क्षमता होती है. हम आँख, नाक, होठ तथा बाकी के चेहरे का तुलनात्मक अध्ययन कर एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से अलग समझ पाते हैं. यही तकनीक बंदर भी अपनाते हैं.


इमोरी विश्वविद्यालय के रोबर्ट हैम्पटन ने एक प्रयोग द्वारा यह साबित किया. उनकी टीम ने एक चार साल के हैसस बंदर को चुना और उसे 6 अलग अलग बंदरों की तस्वीरें दिखाई. सबसे पहले उस बंदर को अन्य बंदरों की सामान्य तस्वीरें दिखाई गई और बाद में ऊल्टी तस्वीरें दिखाई गई. उस बंदर ने थोडी देर तक तो तस्वीरों को देखा फिर अपना ध्यान कहीं ओर लगा लिया और तस्वीरों की तरफ ध्यान देना छोड दिया.

इसके बाद वैज्ञानिकों ने उस बंदर को कुछ अजीब तस्वीरें दिखाई. इन तस्वीरों में बंदरों के चेहरों को तो सीधा ही रखा गया था परंतु आँखों और होठ को अलग से काटकर ऊल्टा कर दिया गया था. इस बार वह बंदर चौंक गया और उन तस्वीरों को ध्यान से देखने लगा.

उस बंदर ने ठीक वैसा ही व्यवहार किया जैसा कोई इंसान ऐसी तस्वीर देखकर करता. इससे साबित हुआ कि बंदर चेहरा पहचानने के लिए इंसानों की तरह ही दक्ष होते हैं.

रोबर्ट हैम्पटन के अनुसार यह कला हम इंसानों में पिछले 30 लाख सालों से मौजूद है.

लम्बी उम्र का राज़, प्रतिदिन सेक्स और युवा पत्नी!

एक नई शोध की माने तो पुरूष अपनी जिंदगी बढा सकते हैं यदि वे प्रतिदिन सेक्स क्रिडा में लिप्त हों.

जर्मनी के मैक्स प्लांक इंस्टिट्यूट के संशोधकों ने अपनी शोध में पाया कि जिन पुरूषों की पत्नियाँ युवा होती हैं उनकी उम्र भी लम्बी होती है. इस संस्थान के अनुसार जिन पुरूषों की पत्नियाँ उनसे 15 से 17 वर्ष छोटी होती हैं उनमें कम उम्र में मृत्यु प्राप्त करने की सम्भावना 20% कम होती है.

द टेलिग्राफ में छपी खबर के अनुसार पुरूषों की आयु का अनुपात करीब 77 वर्ष का होता है जिसमें से अंतिम 7 वर्ष बिमारी में बीतते हैं. लेकिन यदि कुछ चीजों का ध्यान रखा जाए तो पुरूष लम्बे समय तक स्वस्थ रह सकता है. इन चीजों में पेन कीलर दवाओं के कम इस्तेमाल, अच्छे आहार का सेवन तथा नियमित सेक्स भी शामिल है.

इन संशोधकों के अनुसार युवा पत्नी अपने पति तथा उसके बच्चों का बेहतर ध्यान रख सकती है और इस वजह से पुरूष की उम्र भी बढ जाती है.

इस शोध के लिए जरूरी आँकडे डेनमार्क में 1990 से लेकर 2005 तक हुई कुल मौतों के अध्ययन के बाद प्राप्त किए गए.

5 ऐसे डर जो पुरूष को "बेडरूम" में सताते हैं


ऐसा माना जाता है कि पुरूष सेक्स के प्रति महिलाओं की अपेक्षा अधिक उत्सुक और आग्रही होते हैं. इसमें आंशिक रूप से सच्चाई भी है. पुरूष की जिनेटिक सरंचना उसे सेक्स के प्रति अधित उत्साही बनाती है. लेकिन इसके साथ ही पुरूष में एक तरह की प्रबल ईच्छा भी होती है कि वह अपने साथी को चरम संतुष्टि दे. इससे उसके मन में कई तरह के डर घर कर जाते हैं.

निम्नलिखित पाँच डर ऐसे हैं जो पुरूष को बेडरूम में अमूमन सताते हैं.

क्या मैं संतुष्टि दे पाउंगा?

आम तौर पर पुरूष को मात्र अपनी ही नहीं बल्कि अपनी साथी की संतुष्टि की भी परवाह होती है. और यही उसके लिए सबसे बड़ा डर भी बनती है. लेकिन इस डर की वजह से दाम्पत्ति का सेक्स जीवन प्रभावित हुए बिना नहीं रहता. सेक्स एक अनुभव है, और महिलाएँ आम तौर कई प्रकार से संतुष्टि प्राप्त करती हैं. इसलिए पुरूष को चाहिए कि वह सेक्स में पूर्ण रूप से लिप्त हो और संतुष्टि के डर के पीछे ना जाए.

शिघ्र स्खलन

अधिकतर मनोवैज्ञानियों का मानना है कि शिघ्र स्खलन की समस्या वास्तव में समस्या होती ही नहीं है। यदि कोई पुरूष एक मिनट बाद स्खलित होता है तो वह सामान्य है. इसलिए किसी पोर्न फिल्म के अभिनेता से खूद की तूलना ना करें. वहाँ मात्र अभिनय होता है.

फेंटासी सेक्स

पुरूष के अंदर एक डर यह भी होता है कि क्या वे जो कर रहे हैं वह सामान्य है? यहाँ यह समझना जरूरी है कि पोर्न फिल्मों मे दिखाए जाने वाले दृश्यों की नकल ना तो फलदायी होती है ना ही उचित भी है. इसके अलावा यह भी महत्वपूर्ण है कि पुरूष अपनी साथी कि सहमति एवं रूचि का भी ख्याल रखे. सेक्स में सभी आसन और क्रिडाएँ संतुष्टिदायक हो सकती हैं यदि सेक्स को प्रेम के एक भाग के रूप मे देखा जाए.

भूतकाल का डर

कई पुरूष बचपन में तथा किशोरावस्था में किए गए हस्तमैथुन आदि की वजह से विवाह पश्चात भी चिंतित रहते हैं. उन्हें डर रहता कि क्या इससे उनका सेक्स जीवन प्रभावित होगा. वास्तव में हस्तमैथुन एक नैसर्गिक क्रिया है और पुरूष के स्वास्थ्य के लिए लाभदायी भी. हस्तमैथुन से एड्स जैसी बिमारियों की चपेट में आने का खतरा भी दूर होता है.

गर्भ ना ठहरना

कई पुरूषों को यह डर रहता है कि कहीं उनके सेक्स में लिप्त होने से उनकी पत्नी गर्भवती ना हो जाए. वहीं बच्चे की चाह रखने वाले पुरूष को यह डर भी रहता है कि क्या उसकी पत्नी गर्भवती होगी? ये दोनों ही डर बेमानी है. यदि आप बच्चा नहीं चाहते तो कई ऐसे गर्भनिरोधक उपाय हैं जो काफी कारगर होते हैं. कोंडम इन्हीं मे से एक हैं.

वहीं बच्चे की चाह रखने वाले दम्पत्ति को यह समझना चाहिए कि गर्भ ठहरने के लिए मात्र सेक्स ही काफी नही है. वह काफी कुछ भाग्य और पुरूष तथा महिला के स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है.

कम उम्र वाली से सेक्स, होगी लंबी उम्र

सेक्स और उसके दीवानों के लिए एक नया 'ज्ञान' मार्केट में आया है। यह ज्ञान एक स्टडी पर आधारित है। इसके मुताबिक कहा जा रहा है

कि अगर कोई पुरुष रोज़ाना अपने से कम उम्र की महिला के साथ सेक्स करता है तो उसके मरने की आशंका 20 फीसदी कम हो जाती है।

यह दावा एक ताजा स्टडी में किया गया है। यह स्टडी जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के रिसर्चरों ने की है। रिसर्चरों ने पाया है कि अगर किसी पुरुष की पत्नी की उम्र उससे 15-17 से कम है तो उसके मरने की संभावना में 20 फीसदी तक की कमी आ जाती है। एक्सपर्ट कहते हैं कि दुनिया में उम्र बढ़ाने के लिए जिन-जिन तरीकों का लोग इस्तेमाल करते हैं, उसमें सेक्स सबसे बेहतर तरीका है।

इस स्टडी के दौरान 1990 से लेकर 2005 के बीच डेनमार्क में मरने वाले सभी लोगों का रेकॉर्ड खंगाला गया और फिर शोधकर्ताओं ने पाया कि ज़्यादा उम्र वाले ज़्यादातर पुरुषों की पत्नियां कम उम्र की थीं। इसी बीच, कनाडा में हुई एक स्टडी में नतीजा निकला है कि सेक्स में संतुष्टि का इसमें इस्तेमाल होने वाले तरीकों से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि पापुलर कल्चर कहता है कि सेक्स का संतुष्टि भरा एहसास आपको तभी होता है जब आप इसमें नए-नए प्रयोग करें।

सेक्स लेकिन नो कमिटमंट

इन दिनों युवाओं में सेक्स बडी रखने का चलन तेजी से बढ़ा है। दरअसल, इसमें पार्टनर के साथ न कोई कमिटमंट होता है और नहीं कोई इमोशनल अटैचमंट।



अब युवाओं में रिलेशनशिप को लेकर वो गंभीरता नहीं रह गई है, जो कुछ सालों पहले हुआ करती थी। पहले किसी से रिलेशनशिप बनाने का मतलब जीवनभर का साथ निभाना होता था। लेकिन इधर देखने में आ रहा है कि युवा बिना किसी कमिटमंट के किसी से भी संबंध बना लेते हैं और जब मन चाहे खत्म कर लेते हैं। अब वे यह मानने लगे हैं कि सेक्स दोनों की जरूरत है, तो इसमें कमिटमंट की क्या जरूरत है और अगर इसमें दोस्त ही साथ दे दे, तो इससे अच्छा क्या हो सकता है। यही नहीं, वह यह भी मानते हैं कि सही पार्टनर मिलने तक दोस्त के साथ मौज-मस्ती करने में कोई बुराई नहीं है।
एक दोस्त की जरूरत
आपका दोस्त आपको अच्छी तरह समझ सकता है। शहर की एक ईटरी फर्म में मैनिजर के पद पर कार्यरत प्रतीक कहते हैं, 'एक बैड बडी आपको खुश रख सकता है, क्योंकि ऐसे रिश्ते में कोई कमिटमंट नहीं होता। यह ट्रेंड बिल्कुल गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड होने जैसा ही है। दरअसल सेक्स बडी को समाज की धारणाएं सही नहीं मानतीं, मगर ऐसे में एक दोस्त से ज्यादा कौन साथ दे सकता है।'

वहीं बैंक में कार्यरत नेहा भी इसे सही मानती हैं। वह कहती हैं, 'यह काफी कनविनीयंट और हैसल फ्री रहता है। यह सिर्फ एक रात की बात नहीं होती, बल्कि यह लंबे समय तक चलने वाला रिश्ता है।' मगर आखिर इसकी शुरुआत कैसे होती है? इस बात का जवाब देते हुए बैंक में एंप्लायी अमित कहते हैं, 'मैंने यह फैसला बहुत सोच- समझकर नहीं लिया था। बस, मैं बहुत अकेला था और एक दोस्त के रूप में कोई साथी चाहता था। अब मेरे पास एक सेक्स बडी है। आज हमें पता है कि हम दोनों कहीं भी कभी भी एक दूसरे के साथ के लिए तैयार हैं।'

कंप्यूटर कोर्स के स्टूडंट ध्रुव कहते हैं, 'मेरे लिए यह अपने दोस्त को सेक्स का सुखद अनुभव देना है। हो सकता है पहले पहल यह गलत लगे, मगर बाद में आपसी दोस्ती में सब ठीक लगने लगता है।'

सोच रहती है क्लिअर
ध्रुव कहते हैं, 'इस तरह के संबंध में स्थिति बहुत क्लिअर होती है, क्योंकि इसमें दोनों को पता होता है कि उन्हें एक- दूसरे से क्या चाहिए।' वहीं आर्किटेक्ट के तौर पर काम कर रहीं मेघा कहती हैं, 'बडीज आपस में इस रिलेशन के बारे में काफी क्लिअर रहते हैं। वरना इमोशनल दिक्कतें आ सकती हैं। सेक्स बडीज तो बस एक कॉल की दूरी पर होते हैं। यह प्योर सेक्स होता है, जहां सेक्स करने के बाद भावनाओं से आपस में बंधना जरूरी नहीं होता।'

वहीं विकास भी इस रिलेशन से पूरी तरह सहमत हैं। वह कहते हैं, 'इस तरह संबंध में दोनों बडी को यह पता होता है कि उनकी जरूरतें क्या हैं। अगर आप कभी विश करना या गिफ्ट देना भूल जाते हैं, तो सामने वाले को दुख नहीं होता है।'

दोनों की मर्जी
एक कॉल सेंटर में इग्जेक्युटिव के तौर पर काम कर रहे गौरव कहते हैं, 'आजक ल की लाइफस्टाइल में यह संभव नहीं है कि लोग अपने रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए ज्यादा समय दें। वे दिन बीत गए हैं, जब किसी को सेक्स के लिए शादी का इंतजार करना पड़ता था। इस रिश्ते में दोनों की अपनी पूरी मर्जी होती है।'

फन भी सेफ्टी भी
अकेले रह रहे लोगों में यह प्रचलन और भी ज्यादा है। विकास कहते हैं, 'मैं इस शहर में पिछले पांच सालों से अकेला रह रहा हूं और तब से रेग्युलर मेरे पास सेक्स बडीज रहे हैं। ये रिलेशंस कई बार मैंने अकेलेपन को दूर करने के लिए तो कई बार मौज- मस्ती के लिए बनाए। अपने दोस्त के साथ सेक्स करने में मैंने कभी शर्मिन्दगी महसूस नहीं की।' कुछ लोग इसे ज्यादा सेफ भी मानते हैं। प्रेरणा कहती हैं, 'एक दोस्त कभी नहीं चाहेगा कि आपको किसी तरह का कोई प्रॉब्लम आए। इसलिए दोस्तों के साथ यह संबंध बनाना ज्यादा ठीक रहता है।'

क्या गलत और क्या सही
कॉमर्स की स्टूडंट कनिका कहती हैं, 'मैं ऐसे इंसान के साथ कभी सीरियस रिलेशनशिप नहीं रखना चाहूंगी, जो सेक्स बडी रख चुका हो।' इन सब के बावजूद भी जो लोग सेक्स बडीज़ रखते हैं या इस तरह के रिश्तों को जी रहे हैं, उन्हें इसमें कोई बुराई नजर नहीं आती। वे इसे अपनी अपनी पर्सनल चॉइस मानते हैं।

आकर्षक पुरुष से रहें दूर

लंदन । लीजिए सेक्स पर एक और रिपोर्ट गौर फरमाने के लिए आपके सामने है। नई रिपोर्ट बताती है कि आकर्षक या सुंदर पुरुष की बच्चे पैदा करने

की कुव्वत कुरूप या अच्छे न दिखने वाले पुरुषों की तुलना में कम होती है।

यह कितना सच है यह पता नहीं, लेकिन इस ख़बर से कई सुंदर पुरुषों के 'पुरुषोचित अहम' पर चोट लगनी तय है। इस रिपोर्ट के पीछे जो तर्क रखा गया है उसके मुताबिक आकर्षक पुरुष सेक्स के दौरान कुरूप या कम आकर्षक पुरुषों की तुलना में कम स्पर्म रिलीज करते हैं। यह नतीजा निकाला है यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन और दुनिया की मशहूर यूनिवर्सिटी ऑक्सफोर्ड ने।

Thursday, July 9, 2009

प्यार में इमोशनल अंडर स्टैंडिंग...

कपल्स में आपसी अंडर स्टैंडिंग बढ़ाने में एक्टिव मिरर न्यूरॉन ब्रेन सेल्स अहम रोल प्ले करते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार दो दिलों में


प्यार, विश्वास और तालमेल मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया का नतीजा नहीं है। इसमें बॉडी मूवमेंट्स ही अहम होते हैं।

एक ऑस्ट्रेलियन स्टडी ने बरसों पहले बन चुकी इस धारणा को और पुख्ता कर दिया है कि पति-पत्नी के दिमाग में एक्टिव न्यूरॉन सेल्स से उनकी एक-दूसरे को समझने की क्षमता बढ़ती है। स्टडी के अनुसार किसी भी इंसान के दिमाग में मिरर न्यूरॉन्स के रूप में ब्रेन सेल्स तभी एक्टिव होते हैं, जब कोई पार्टनर अपने दूसरे साथी को अच्छी तरह से अपना काम करते देखकर खुद भी बेहतरीन परफॉर्मेंस देने की जीतोड़ कोशिश करता है। मेलबोर्न में मोनाश यूनिवर्सिटी के रिर्सचर पीटर एंटीकॉट का कहना है, 'मैंने और दूसरे शोधकर्ताओं ने देखा कि जिन कपल्स को एक-दूसरे के चेहरे को पढ़ने में महारत हासिल होती है, उनका मिरर न्यूरॉन सिस्टम काफी एक्टिव होता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि स्टडी इस थ्योरी को सपोर्ट करती है कि एक्टिव मिरर न्यूरॉन सिस्टम से ही तमाम कपल्स को एक-दूसरे को समझने में सहायता मिलती है। स्टडी के दौरान 20 हेल्दी और एडल्ट वॉलंटियर्स को कुछ लोगों की तस्वीरों के जोड़ों की ओर देखने को कहा गया। उन्हें यह बताने के लिए कहा गया कि इनमें से कौन सी तस्वीरें एक ही आदमी की है। इसके बाद उन्हें यह बताना था कि क्या दो लोगों के चेहरों से एक ही इमोशन झलक रहा है। स्टडी में शामिल लोगों को अंगूठे की मूवमेंट की, हाथ के पेन पकड़ने की और लिखने के दौरान हाथ के मूवमेंट्स की विडियो क्लिपिंग दिखाई गई। विडियो देखते समय शोधकर्ताओं ने वॉलंटियर्स के ब्रेन में प्राइमरी मोटक कोर्टेक्स की एक्टिविटी रेकॉर्ड की। ब्रेन के इसी हिस्से में मिरर न्यूरॉन सक्रिय रहते हैं।

शोधकर्ताओं ने यह भी आकलन किया कि विडियो क्लिप्स में अंगूठे को मूव करते देखकर उनकी उंगलियों में कितनी मूवमेंट हुई? स्टडी रिपोर्ट में रिसर्चर्स ने यह खुलासा किया कि जिन वालंटियर्स ने दूसरे लोगों के फेस से झलकने वाले इमोशन को साफ-साफ पहचान किया। उनकी अंगूठे की मूवमेंट में हायर न्यूरॉन एक्टिविटी पाई गई। हालांकि लोगों की चेहरे पहचानने की क्षमता और मिरर न्यूरॉन एक्टिविटी में कोई संबंध नहीं जुड़ पाया।

शोधकर्ताओं ने बताया कि भावनाओं को पहचानने, एक दूसरे को अच्छी तरह समझने और एक पार्टनर के अच्छे काम की की नकल करने में मिरर न्यूरॉन काफी हद तक इनवॉल्व होते हैं। अमेरिका में बोस्टन के बेथ इसराइल डिकॉननेस अस्पताल में तैनात डॉक्टर लिंडसे ओबरमैन के हवाले से न्यू साइंटिस्ट मैगजीन ने लिखा, 'यह स्टडी दो एक्टिविटीज को जोड़ती है। बॉडी मूवमेंट्स के साथ इमोशनल प्रोसेसिंग का तालमेल बैठाया गया। इससे पता चला कि कपल्स में आपसी तालमेल बनाने में मिरर न्यूरॉन्स काफी अहम भूमिका निभाते हैं।

सेक्स: हमेशा रहें जवां!

अक्सर शादी के कुछ समय

बाद या बेबी होने के बाद कपल्स को सेक्स लाइफ में कुछ ठहराव सा महसूस होने लगता है। आइए हम आपको बताते हैं कुछ टिप्स , जिनकी मदद से आपकी सेक्स लाइफ हमेशा जवां रहेगी :

अपनी - अपनी फैंटसी

- केवल प्रचलित धारणाओं पर ही यकीन करें। सेक्स में क्वॉन्टिटी से ज्यादा महत्वपूर्ण है इसकी क्वॉलिटी। अगर आप अपने पार्टनर के साथ ज्यादा से ज्यादा बार सेक्स करने की कोशिशों में जुटे हैं , तो हम आपको बता दें कि सच यह है कि एक सामान्य कपल हफ्ते में एक बार या इससे भी कम सेक्स करता है

- सेक्स से जुड़ी कई समस्याओं की वजह बेडरूम से बाहर भी हो सकती हैं। जो महिलाएं दिन में आराम कर पाती हैं। घर के कामों में दूसरों की मदद लेती हैं और बच्चों की सही देखभाल करती हैं , वे सेक्स में ज्यादा संतुष्ट रहती हैं।

- महिलाओं की खराब बॉडी लैंग्वेज भी समस्या का कारण हो सकती है। अपना कॉन्फिडेंस बनाए रखें और सेक्स को पूरी तरह एंजॉय करें। चाहें तो वे खुद को फिट रखने के लिए ड्रामा या डांसिंग की क्लासेज अटेंड कर सकती हैं।

- ज्यादातर महिलाएं शर्म की वजह से सेक्स को पूरी तरह एंजॉय नहीं कर पातीं। वे चाहकर भी पार्टनर के सामने अपनी इच्छाओं को एक्सप्रेस नहीं कर पातीं। आप चाहें , तो पहले बिना पार्टनर के रोमांटिक माहौल बनाकर अपनी इच्छाओं को जानें और फिर उन्हें पार्टनर के सामने एक्सप्रेस करें।

- आजकल कॉन्डम नए सेक्स टॉय के रूप में सामने आया है। ये सिर्फ ज्यादा देर तक सेक्स एंजॉय करने में मदद करते हैं , बल्कि अलग - अलग फ्लेवर में उपलब्ध होने की वजह से कुछ चेंज का ऑप्शन देते हैं।

प्यार करते समय

- सेक्स के बारे में बात सिर्फ सेक्स करते समय ही करें। हर वक्त सही वक्त होता है। जब भी आप दोनों के पास फुर्सत के पल हों , आप इस पर बात कर सकते हैं।

- सेक्स और प्यार में अंतर समझिए। प्यार आगे बढ़ते - बढ़ते सेक्स तक पहुंच सकता है। कोशिश करें कि इंटरकोर्स के अलावा एक दूसरे को सहलाने और मसाज जैसी चीजों को भी अच्छा - खासा समय दें।

- स्टडीज से साबित हुआ है कि अल्कोहल लेने और सिगरेट पीने से सिर्फ पुरुषों , बल्कि महिलाओं में भी कामेच्छा कम होती है।

- ज्यादा शराब या सिगरेट पीना सिर्फ आपकी सेक्स लाइफ को बर्बाद कर सकता है , बल्कि नर्वस सिस्टम को भी नुकसान पहुंचाता है। इसलिए कोशिश कीजिए कि इन चीजों का सेवन कम से कम करें।

- अक्सर न्यूली मैरिड कपल ऑर्गेजम को लेकर प्रेशर में रहते हैं। उन्हें यह समझने की जरूरत है कि यह एक एक्सपीरियंस है ना कि कोई गोल। जरूरी नहीं है कि एक बार में दोनों पार्टनर ऑर्गेजम तक पहुंच जाएं। फिर भी अगर चाहते हैं कि लेडी पार्टनर ऑर्गेजम तक पहुंचे , तो सेक्स की शुरुआत से उसे एक्साइट करने की कोशिश करें। इससे उसे जल्दी आर्गेजम तक पहुंचने में आसानी होगी।

- अगर आप फिजिकली और मेंटली दोनों तरह से फिट हैं , तभी अच्छी तरह सेक्स कर पाएंगे। इसलिए जरूरी है कि आप बेहतर डाइट के साथ रोजाना एक्सरसाइज पूरी नींद लें। इस तरह आप सेक्स के दौरान बेहतर परफॉर्मेंस दे पाएंगे।

तन - मन दोनों से जुड़िए

- अपने पार्टन के साथ शरीर के अलावा मन से भी जुड़ाव महसूस कीजिए। इससे आप सेक्स में अद्भुत आनंद अनुभव करेंगे।

- सेक्सुअल ऐक्टिविटी के लिए ' एड्रनेलिन ' केमिकल बहुत जरूरी होता है। शरीर में इसकी मात्रा बढ़ाने की कोशिश कीजिए। अगर आप थके हुए या तनावग्रस्त हैं , तो अपनी पसंद का कोई काम कीजिए। मनपसंद मूवी देखिए या कॉफी का कप लेकर रिलैक्स कीजिए।

- अक्सर लोग थकान की सोचकर सेक्स से कतराते हैं। जबकि सेक्स करने से थकान दूर होती है। फिर भी अगर आप काफी थके हुए हैं , पहले आराम और फिर सेक्स कीजिए।

- अपने पार्टनर के साथ हर सेक्सुअल ऐक्टिविटी पर बात कीजिए। नए - नए ऐक्शंस के बारे में सोचिए। आप जितने ऐक्शंस की कल्पना कर सकते हैं , उन्हें एक कागज पर नोट करना अच्छा रहेगा। उसके बाद उनके आगे ओके , नॉट ओके और ट्राई लिखिए। कोशिश कीजिए की ओके वाले ऐक्शंस को आप रेग्युलर आजमाएं।

- कई बार मन में फीलिंग आती है कि मैं सेक्सी नहीं लग रही हूं। इसके बावजूद आप सेक्स करना चाहती हैं , तो मन से ऐसी बातों को निकाल फेंकिए और निश्चिंत होकर सेक्स का मजा लीजिए।

बच्चे के बाद

- अगर आप पैरंट्स बन चुके हैं , तो आपकी सेक्स लाइफ और बेहतर हो जाती है। तमाम रिसर्च में सामने आया है कि एक बेबी होने के बाद नर्व्स ज्यादा ऐक्टिव हो जाती हैं और ऑर्गेजम की संभावना भी बढ़ जाती है। साथ ही बच्चा आपके बीच की इमोशनल फीलिंग्स को और मजबूत कर देता है , जिससे आप ज्यादा करीब जाते हैं।

- ध्यान रहे , फोरप्ले किसी भी सेक्स रिलेशनशिप का सबसे जरूरी पार्ट है। अगर आप फोरप्ले के बाद सेक्स करते हैं , तो इसका मजा दोगुना हो जाएगा।

- एक - दूसरे से बातचीत कीजिए। अक्सर यह देखा गया है कि अगर आप अपनी रिलेशनशिप के बारे में बात नहीं करते , तो यह जल्दी ही बोझिल रिश्ते में बदल जाता है। विश्वास कीजिए , यह तरीका आजमाने पर आपको जल्द चेंज नजर आएंगे।

- कई पैरंट्स बच्चा होने के बाद सेक्स नहीं कर पाते। ऐसे में आपको इसे लेकर क्रेजी होना पड़ेगा। माना कि बच्चे के सामने सेक्स के कम मौके मिलते हैं , लेकिन समझदार पैरंट्स बच्चे के झपकी लेते वक्त भी एक - दूसरे को प्यार कर लेते हैं।

- कभी भी सेक्स को रूटीन तरीके से ना करें। अगर सेक्स का पूरा लुत्फ उठाना चाहते हैं , तो जरूरी है कि आप कुछ ना कुछ एक्सपेरिमेंट करते रहें।

उनकी चाहत पहचानें

- महिलाओं को यह कतई पसंद नहीं होता कि पुरुष उनके शरीर के किसी एक अंग पर ध्यान फोकस करें। वह चाहती हैं कि आप उनकी पूरी बॉडी पर ध्यान दें। अगर आप ऐसा करते हैं , तो यकीन मानिए कि महिलाओं की ऑर्गेजम तक पहुंचने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

- अक्सर कुछ पुरुषों में पेनिस के साइज को लेकर हीन भावना होती है। ऐसे लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि पेनिस का एवरेज साइज पांच इंच होता है। उससे भी बड़ी बात यह है कि महिलाओं की वेजाइना में सिर्फ तीन इंच गहराई तक ही सेंसिटिविटी होती है। अगर आप उससे ज्यादा अंदर जाते हैं , तो वह वेस्टेज ही है। इसलिए अगर किसी के पेनिस का साइज छोटा है , तो उसके पार्टनर को खुश कर पाने के ज्यादा चांस है।

- सपने देखिए अगर आप सेक्स करते वक्त किसी और के बारे में सोचते हैं , तो इसमें कोई नुकसान नहीं। इस तरह आप अपने सेक्सुअल एक्सपीरियंस को और ज्यादा बेहतर बना सकते हैं।

- बढ़ती उम्र के साथ सेक्स पर विराम मत लगाइए। स्वयं को सेक्सुअली फिट रखना एक चैलेंज होता है , इसका सामना कीजिए। बढ़ती उम्र का सामना करने के लिए फोरप्ले का वक्त बढ़ाइये। साथ ही आप उन पलों को भी याद कर सकते हैं , जब आप पहली बार मिले थे।

- सेक्स आप दोनों को ज्यादा करीब लाता है। इससे आपके और आपके पार्टनर के दिल जुड़ने में मदद मिलती है।

हमेशा रहिए, ओके टु किस

गर्लफ्रेंड को किस करने जा रहे हों और माउथ स्मेल की वजह से बात बिगड़ जाए, तो इससे बुरा आपके लिए कुछ नहीं होगा। अगर आप ऐसी स्थिति से बचना चाहते हैं, तो

'ओके टु किस किट' आपके लिए अच्छा ऑप्शन बन है :


अगर आप अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने जा रहे हैं या फिर किसी जॉब के लिए इंटरव्यू देने जा रहे हैं, तो आपको अपने मुंह से आने वाली स्मेल पर खास ध्यान देना होगा। दरअसल, ऐसे मौकों पर सांस में बदबू होने की वजह से बनती बात बिगड़ सकती है। लेकिन कई बार दिक्कत यह भी आती है कि आखिर यह पता कैसे लगाया जाए कि सांस दुर्गंध रहित है या नहीं? तेल अवीव यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने इस परेशानी को दूर करने के लिए एक छोटा-सा ब्रीद टेस्ट तैयार किया है। इससे आप आसानी से पता लगा सकते हैं कि आपके मुंह में कहीं बदबू पैदा करने वाले बैक्टीरिया तो नहीं हैं। अगर टेस्ट का रिजल्ट ब्लू आता है, तो इसका मतलब है कि आपको ब्रश करने की जरूरत है। और अगर ऐसा नहीं है, तो बेशक आप किस करने के लिए तैयार हैं।

बता दें कि इस 'ओके टु किस किट' डिवाइस में एक कलर इंडिकेटर और एक स्लाइवा कलेक्टर लगा हुआ है, जो सांस में बदबू होने का इंडिकेशन देता हैं। साइंटिस्ट्स का मानना है कि मुंह में महज एक ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया होने की वजह से भी आपको मुंह में बदबू की शिकायत हो सकती है जबकि तेल अवीव यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स का मानना है कि ग्राम पॉजिटिव बैक्टीरिया भी मुंह से आने वाली बदबू की वजह होते हैं। ये बैक्टीरिया ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया को मुंह में बदबू पैदा करने में मदद करते हैं, इसलिए इस 'ओके टु किस किट' डिवाइस से स्लाइवा और मुंह में इस बैक्टीरिया की भी जांच की जाती है।

गौरतलब है कि सांस में दुर्गंध का ट्रीटमेंट करने वाले रोजनबर्ग ने स्टिरियर के साथ मिलकर इस किट को डिवेलप किया है। इससे पहले रोजनबर्ग के बनाए हुए माउथ वॉश ब्रिटेन और इसराइल में बेहद हिट हो चुके हैं। इस किट का इस्तेमाल कैसे किया जाएगा? इसके जवाब में रोजनबर्ग बताते हैं, 'इस किट को इस्तेमाल करने वाले को अपना थोड़ा-सा स्लाइवा 'ओके टु किस किट' डिवाइस की विंडो पर डालना होगा। उसके बाद अगर डिवाइस ब्लू सिग्नल देता है, तो उस व्यक्ति को सांस में बदबू की प्रॉब्लम है और साथ ही उसके मुंह में बैक्टीरिया भी हैं।'

रिसर्च में कहा गया है कि इस डिवाइस से सांस में बदबू के अलावा, ओरल हाइजीन, दांतों की परेशानी और मुंह की सफाई से जुड़ी तमाम दूसरी बीमारियों का भी पता लगाया जा सकता है।

रोज़ सेक्स से हेल्दी होता है स्पर्म

जो कपल्स बच्चे की प्लानिंग कर रहे हैं उन्हे रोज सेक्स करना चाहिए। यह निष्कर्ष एक नए रिसर्च के आधार पर निकाला गया है। इसके मुता

बिक नियमित सेक्स करने से स्पर्म स्वस्थ होता है।

ऑस्ट्रेलियाई डॉक्टरों ने कमजोर स्पर्म वाले 118 रोगियों के बीच यह स्टडी की है। उन्होंने पाया कि एक सप्ताह तक नियमित सेक्स से इन लोगों के स्पर्म में क्षतिग्रस्त डीएनए की संख्या में काफी कमी आ गई। इससे पहले के रिसर्चों में बताया जा चुका है कि मजबूत स्पर्म से गर्भधारण की क्षमता बढ़ जाती है। सात दिनों के नियमित सेक्स के बाद डॉक्टरों ने पाया कि 81 पर्सेंट रोगियों में क्षतिग्रस्त स्पर्म की संख्या 12 पर्सेंट तक कम हो गई थी।

बहुत से एक्सपर्ट टेस्ट ट्यूब तकनीक यानी इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन से पहले सेक्स न करने की सलाह देते हैं ताकि स्पर्म काउंट बढ़ जाए। स्पर्म को हेल्दी बनाने के दूसरे तरीके भी हैं, मसलन-स्मोकिंग न करें, शराब का सेवन कम से कम करें, एक्सरसाइज करें या एंटीऑक्सीडेंट लें।

डॉ. डेविड ग्रीनिंग ने स्टडी का सार बताते हुए कहा कि बच्चे की प्लानिंग कर रहे कपल्स को मैं ज्यादा सेक्स करने की सलाह देता हूं। उन्होंने कहा कि कुछ उम्रदराज लोग इससे चिंतित हो सकते हैं लेकिन युवा मेरी सलाह से काफी खुश होंगे।

सवाल यह है कि ज्यादा सेक्स करने से स्पर्म मजबूत कैसे हो सकता है? इस बारे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि ज्यादा दिनों तक स्पर्म के शरीर में रहने से इसके कमजोर पड़ने की आशंका रहती है जबकि सेक्स करने से यह शरीर से बाहर निकल जाता है। कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ग्रीनिंग का रिसर्च संभावनाएं जगाता है लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं है कि रोज़ सेक्स करने से ऐसे कपल्स को भी फायदा होगा जिन्हें फर्टिलिटी से जुड़ी कोई समस्या है।

Wednesday, July 8, 2009

सड़े अंडे की बदबू सेक्स में मददगार

सड़े हुए अंडे का किचन में भले ही स्वागत ना हो लेकिन आपके बेड के नीच रहने से यह आपके सेक्स लाइफ को बेहतर बना सकता है। एक नई स

्टडी में यह बात समाने आई है कि सड़े हुए अंडे की बदबू से आदमी को खुलेन में मदद मिलती है।

रिसर्च के मुताबिक यह तथ्य नपुंसकता के इलाज में भी मददगार हो सकता है। सड़े हुए अंडे में बदबू के लिए जिम्मेदार रसायन मर्द को कामोत्तेजित करने में मदद करते हैं। जब अंडा सड़ रहा होता है तो उससे हाइड्रोजन सल्फाइड गैस निकलती है। यह गैस सेक्स से पहले मर्दों को कामोत्तेजित करने में उत्प्रेरक का काम करती है।
रिसर्चरों का मानन है कि नई स्टडी के जरिए वायग्रा का विकल्प तैयार किया जा सकता है। अखबार 'द टेलिग्राफ' ने रिसर्चरों के हवाले से लिखा है, ' हमने पाया है कि हाइड्रोजन सल्फाइड पुरुष जननांग के उत्तेजित होने में मददगार है। इसके आधार पर हम खास तरह की दवाइयों के निर्माण में कर सकते हैं, जो हाइड्रोजन सल्फाइड पैदा करेगी या फिर हाइड्रोजन स्लफाइड के उत्पादन को नियंत्रण करेगी।'

डिजाइनर कपड़ों के लिए जिस्म बेच रही हैं छात्राएं

हॉन्गकॉन्ग में डिजाइनर और ब्रैंडेड कपड़े खरीदने के लिए छात्राएं जिस्म बेच रही हैं। हाल में जारी एक सर्वे में यह चौंकानेवाली बात सामने आई है।



सर्वे के मुताबिक, हॉन्गकॉन्ग की स्कूली छात्राएं डिजाइनर कपड़ों की खरीदारी के लिए अपना जिस्म बेच रही हैं। हॉन्गकॉन्ग में बढ़े रहे इस ट्रेन्ड को 'कॉम्पेन्सेटेड डेटिंग' का नाम दिया जा रहा है। इस सर्वे में शामिल 87 फीसदी लोगों ने कहा कि टीनएजर्स छात्राएं जिस्म बेचकर पैसे कमा रही हैं ताकि वे डिजाइनर और ब्रैंडेड कपड़े खरीद सकें। सर्वे में शामिल 6।6 फीसदी स्टूडंट्स ने भी स्वीकार किया कि वह ऐसी लड़कियों को जानते हैं, जिन्होंने डिजाइनर कपड़े खरीदने के लिए जिस्म बेचा है। सर्वे में कुल 3 हजार लोग शामिल हुए थे। पुलिस ने भी पिछले दिनों कई ऐसे लोगों को को गिरफ्तार किया है, जो इन छात्राओं के लिए दलाल का काम कर रहे थे।

गौरतलब है कि पिछले दिनों पुलिस ने एक 19 साल की लड़की को भी गिरफ्तार किया था। सिर्फ 1250 रुपये देकर एक पुरुष ने इस लड़की के साथ बस में ओरल सेक्स किया था और विडियो बनाया था। बाद में यह विडियो इंटरनेट पर जारी कर दिया गया था। गौर करने लायक बात यह है कि लड़की ने यह सब इसलिए किया था क्योंकि उसे फेमस बैग ब्रैंड गुची का बैग खरीदने के लिए पैसे चाहिए थे।

ऐसा मानना है कि 'कॉम्पेन्सेटेड डेटिंग' का चलन जापान के रास्ते हॉन्गकॉन्ग में आया है। अमूमन इसमें कम उम्र की लड़कियां पैसे लेकर उम्रदराज पुरुषों के साथ सेक्स संबंध बनाती हैं।

सेक्सुअल पावर बढ़ाने वाले फूड का क्रेज

ज्यादा दिन पुरानी बात नहीं है, जब हमारे देश में सेक्स के बारे में बातचीत करना ठीक नहीं माना जाता था। अब लोग सेक्स के बारे में बात करने लगे हैं। अभी तक

अनछुए इस पहलू की ज्यादा जानकारी लेने की चाह में कुछ लोग वेबसाइट सर्च कर रहे हैं, तो कुछ लोग बुकस्टोर्स की खाक छान रहे हैं। अब लोगों को लगने लगा है कि सेक्स कोई ऐसा मुद्दा नहीं है, जिसे कागज के टुकड़े में बंद करके रखा जाए।

हाल ही शादी के बंधन में बंधे सूर्या सिंह सेक्स से जुड़ी नई-नई जानकारियां लेने की चाहत में रोजाना इंटरनेट पर काफी वक्त बिताते हैं। उनका मानना है, 'हमारी ससायटी में सेक्स के बारे में बात करना हमेशा से टैबू माना जाता है, लेकिन आजकल के पढ़े-लिखे लोग इस बारे में बात करने में कोई शर्म महसूस नहीं करते।' क्या आपने ऐसी रेसिपीज़ के बारे में सुना है, जो सेक्सुअल पावर बढ़ा देती हैं? उत्साहित सूर्या बताते हैं, 'मैंने इंटरनेट पर ऐसी कुछ रेसिपीज़ के बारे में पढ़ा है। मैं इन्हें ट्राई करने के लिए बेताब हूं।'

अपने स्पाइसी टेस्ट और फ्लेवर की वजह से मिर्च को कामोत्तेजक माना जाता है। माना जाता है कि चंदन और केसर को दूध में डालकर पीने से कामोत्तेजना बढ़ती है। सेक्स बढ़ाने वाली चीजों के बारे में ज्यादा जानकारी पाने के लिए आयशा गुप्ता ने एक किताब का सहारा लिया। कॉर्परट सेक्टर से ताल्लुक रखने वाली आयशा बताती हैं, 'उस किताब में डिटेल दी गई है कि क्या खाने से कैसा मूड हो जाता है। इसके अलावा मैं टेलिविजन पर इससे जुड़ा एक शो भी देखती हूं। उससे मुझे पता लगा है कि चॉकलेट भी एक बहुत अच्छा कामोत्तेजक होती है।'

लेकिन क्या लोग इन फूड्स को लेकर अवेयर हैं? क्या वे रेस्तरां में जाकर कामोत्तेजक फूड की मांग करते हैं? एक जानी-मानी होटल चेन के हेड शेफ बताते हैं कि आजकल लोग अपनी डेली लाइफ में काफी बिजी हैं। थोड़ा वक्त होने पर वे बाहर खाना खाने आते हैं। हालांकि वे हेल्थ कॉन्शस हैं, लेकिन अभी उन्हें कामोत्तेजक फूड की जानकारी नहीं है। कम से कम उनके यहां तो किसी ने ऐसे फूड की कभी डिमांड नहीं की।

इसके बावजूद कुछ लोग ऐसे हैं, जो कामोत्तेजक फूड के बारे में पढ़कर उसकी डिमांड करने लगे हैं। इससे आइडिया लगाया जा सकता है कि आजकल के लोग ज्यादा स्मार्ट हो गए हैं!

पुरुषों के ख्वाब में 'मिस एवरेज'

कौन कहता है कि पुरुष बस फिगर और फीचर्स के पीछे ही भागते हैं। जब भी बात महिलाओं के आकर्षण का पैमाना देखने की होती है, तो वे मिडल डिजिट पर जाना बेहतर समझते हैं:

विद्या बालन, असिन, काजोल और रानी मुखर्जी जैसी हीरोइनें भले ही साइज परफेक्ट नहीं हैं, लेकिन इनके चाहने वालों की संख्या करीना कपूर से कहीं ज्यादा है। विद्या जैसी हीरोइनों की दीवानगी यह दिखाती है कि पुरुष महिलाओं को महज फिगर और फीचर्स के पैमाने पर ही नहीं तोलते। यानी पुरुषों को पसंद आने के लिए महिलाओं को साइज जीरो होने या परफेक्ट टेन तक पहुंचने की जरूरत नहीं है।

दरअसल, हाल में हुई एक स्टडी बताती है कि पुरुषों को मॉडल की तरह परफेक्ट शेप वाली लड़कियों की बजाय गर्ल-नेक्स्ट डोर इमेज की लड़कियां ज्यादा पसंद आती हैं। बेशक इस तरह की लड़कियां कभी प्लेबॉय में फीचर नहीं हो सकती हैं, लेकिन पॉइंट यह भी है कि उन्हें जिम में खूब कसरत करने की भी जरूरत नहीं है। कम से कम पुरुषों का ध्यान खींचने के लिए तो उन्हें ऐसा करने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं पड़ेगी।

अब सवाल उठता है कि पुरुषों को पसंद आने वाली यह 'मिस एवरेज' हैं कैसी? स्टडी के अनुसार, वह 5 फुट 4 इंच हाइट, 30 वेस्ट और 40 हिप्स वाली महिला है। जाहिर है, इस एवरेज फिगर के लिए महिलाओं को कुछ खास करने की जरूरत नहीं होती।

यानी अगर आप पुरुषों की नजरों में उतरने के लिए फिटनेस सेंटर में खूब पसीना बहाती हैं और परफेक्ट शेप पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं, तो क्या इस मेहनत का आपको कोई नतीजा नहीं मिलेगा? फिटनेस ट्रेनर अजीत शेट्टी कहते हैं, 'एवरेज लुक्स वाली महिलाओं को पुरुष आसानी से मना लेते हैं, इसलिए वे ऐसी महिलाओं को प्रिफर करते हैं। उन्हें ऐसी महिलाएं कम पसंद आती हैं, जो खुद को पूरा मान देती हैं और अपनी बॉडी का पूरा ख्याल रखती हैं। कहीं न कहीं उनके मन में यह चाहत भी होती है कि वे अपने पार्टनर से ज्यादा अट्रैक्टिव दिखें। वे महिला का अपनी ओर देखना ज्यादा पसंद करेंगे, बजाय इसके दूसरे पुरुष उनके साथ चल रही महिलाओं को देखें।'

तो क्या 'मिस एवरेज' को पसंद करना लुक्स को लेकर पुरुषों में असुरक्षा की भावना दर्शाता है? डिजाइनर टीना विंसेंट इस बात से पूरी तरह सहमत तो नहीं हैं, लेकिन उनको यह स्टडी बेहद मजाकिया और अविश्वसनीय लगती है। वह कहती हैं, 'महिलाओं के लिए 'मिस परफेक्ट' बनना ज्यादा मुश्किल नहीं है। फिर उनकी मदद के लिए तमाम ब्यूटी प्रॉडक्ट्स हैं। हां, अगर पुरुष सिर्फ 'मिस एवरेज' के सपने देखते हैं, तो उनके लिए ऐसी महिला को पाना लगभग नामुमकिन है। हालांकि इस स्टडी को गंभीरता से लिया जाए, तो इससे वही पुराना निष्कर्ष ही निकलता है कि लाइफ में सेटल होने के लिए पुरुष महिला के लुक्स से ज्यादा उसकी पर्सनैलिटी पर ध्यान देते हैं।'

लेकिन इस स्टडी ने तमाम सवाल भी खड़े किए हैं। मसलन अब तक पुरुषों पर यही आरोप लगते आए हैं कि वे बेहतर लुक्स व फिगर वाली गर्लफ्रेंड मिलते ही पहले वाली को भूल जाते हैं। तो यह स्टडी क्या पुरुषों की स्मार्टनेस दिखाती है या अभी तक उन्हें गलत समझा जाता था? डिजाइनर जूली वर्गीज कहते हैं, 'मेरा मानना है कि भरे शरीर वाली महिलाओं को पुरुष बेहद पसंद करते हैं। भले ही वे महिला की साइज जीरो बॉडी को जरा गौर से देखें, लेकिन ऐसी महिलाएं उन्हें हॉट नहीं लगतीं। इस मामले में उनकी पसंद थोड़े वॉल्यूम वाली बॉडी ही होगी। हालांकि इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि पसंद को लेकर पुरुष की चॉइस बदलती रहती है। एक दिन उन्हें काइरा नाइटी हॉट लगती हैं, तो अगले दिन उनकी पसंद स्कारलेट जॉन्सन हो जाती हैं।'

तो भले ही कहने वाले कुछ भी कहें, लेकिन इस स्टडी से इतना तो तय है कि हैवी हिप्स, थोड़ी बड़ी वेस्ट लाइन वाली महिलाओं पर फिदा होने वाले भी कम नहीं हैं। ऐसे में अगर करीना या किसी दूसरी मॉडल सरीखी महिलाओं को देखकर आप खुद को लेकर कॉन्शस व इनसिक्योर फील करती हैं, तो इन फीलिंग्स को भुलाकर देखें। यकीन मानिए, आपके दीवानों की लाइन भी लंबी होगी!

सेक्स सबकुछ नहीं, और भी जरूरी काम हैं जिंदगी में

अमूमन यह माना जाता है

कि जिन्हें सेक्स करना पसंद है , वह इसे किसी भी दूसरे काम से ज्यादा तरजीत देते हैं। पर , कंस्यूमर रिपोर्ट के सर्वे के रिजल्ट्स इस मान्यता के विपरीत हैं। अमेरिका में सेक्सुअली एक्टिव 1000 व्यस्कों पर किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि 80 परसेंट लोगों ने पिछले साल कई बार किसी किसी वजह से सेक्स करने से इनकार कर दिया।

सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि मर्द से ज्यादा औरतें सेक्स के लिए ना करती हैं। इसकी वजह शायद यह है कि औरत से ज्यादा मर्द सेक्स के बारे में सोचते हैं। सर्वे के रिजल्ट्स बताते हैं कि 60 परसेंट मर्द दिन में कम से कम एक बार सेक्स के बारे में जरूर सोचते हैं। जबकि औरतों के मामले में यह आंकड़ा सिर्फ 19 परसेंट है। ऐसे में यह सवाल उठना वाजिब है कि सेक्स से भी ज्यादा जरूरी काम कौन से हैं।

कंस्यूमर रिपोर्ट के सर्वे के मुताबिक , 53 परसेंट लोगों ने सोना है या बहुत ज्याद थक गया हूं कहकर सेक्स करने से इनकार कर दिया। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा अक्सर तब होता है जब पार्टनर की सेक्स करने की इच्छा हो। ऐसे में उन्हें बहाने बनाने के बजाय पार्टनर से ईमानदारी से कह देना चाहिए कि उनकी इच्छा नहीं है। इसके बाद तबीयत ठीक होने का वजह बताकर सबसे अधिक लोग सेक्स के प्रति अनिच्छा जताते हैं। सर्वे में कहा गया है कि 49 % लोगों ने सेक्स करने की वजह तबीयत बताई। 9 परसेंट लोगों ने ओवरवेट या भद्दा दिखने की वजह से सेक्स में रुचि ना लेने की बात कही।

40 परसेंट लोगों ने मूड ना होने , 30 परसेंट लोगों ने बच्चे या पालतू जानवर की देखभाल , 29 परसेंट ने काम का दबाव और 19 परसेंट लोगों ने मनोरंजन के दूसरे साधन टीवी , फिल्म या कंप्यूटर के साथ बिजी होने के चलते कई बार सेक्स को तवज्जो नहीं दी।