Friday, May 22, 2009

एनर्जी सेविंग बल्ब घोल रहे हैं जिंदगी में जहर

लंदन ।। पृथ्वी के वायुमंडल पर से कार्बन डाई ऑक्साइड के बोझ को कम करने के लिए ब्रिटेन में तो 2012 तक एनर्जी सेविंग बल्बों का इस्तेमाल

जरूरी होगा पर चीन को इसके लिए अभी से बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। इन बल्बों को जिन फैक्ट्रियों में तैयार किया जा रहा है, वहां मर्करी का इस्तेमाल होता है। इस कारण हजारों वर्कर जहर की चपेट में आ चुके हैं। असल में एनर्जी सेविंग बल्ब माने जाने वाले फ्लूरोसेंट लाइट बल्ब में मर्करी का इस्तेमाल होता है।

यूरोपीय यूनियन के निर्देश के मुताबिक, तीन साल के भीतर इन बल्बों का इस्तेमाल जरूरी कर दिया जाएगा। इसलिए विदेश में बल्ब की डिमांड बढ़ने के कारण मर्करी की खदानें भी दोबारा खोल दी गई हैं जबकि यह भी कड़वा सच है कि इन्हीं खदानों के कारण चीन के कई दूरस्थ और खूबसूरत हिस्सों का एनवायरनमेंट बर्बाद हो चुका है।

पब्लिक हेल्थ को खतरा जान चीन के कई डॉक्टर, रेगुलेटर इकाइयां, वकील और अदालतें भी अब इसे लेकर अलर्ट हो गए हैं। यह अजीब विसंगति ही है कि जिस चीज को पृथ्वी का संरक्षक बताकर प्रमोट किया जा रहा है, वह मर्करी जैसे जहरीले पदार्थ से बनती है।

इन बल्बों को बनाते समय मजदूरों को मर्करी ठोस या दृव्य रूप में हाथ में लेना होता है। इसके बाद इसकी थोड़ी सी मात्रा हर बल्ब में डालनी होती है ताकि यह केमिकल रिऐक्शन के जरिए रोशनी पैदा कर सके। गौरतलब है कि मर्करी को दुनियाभर में स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा माना जाता है। अगर यह शरीर में चला जाता है तो इससे नर्वस सिस्टम, लंग्स और किडनी डैमेज होने का खतरा रहता है। इतना ही नहीं इससे गर्भ में पल रहे भ्रूण या नवजात बच्चे को भी खतरा रहता है।

चीन में जिन फैक्ट्रियों में ये बल्ब बनाए जा रहे हैं, वहां के कर्मचारियों के शरीर में मर्करी की मौजूदगी खतरनाक स्तर पर देखी गई है। फोशान और गुआंगझाऊ शहर इसका प्रमुख उदाहरण हैं।

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