वैज्ञानिकों का दावा है कि जिसे “अवरग्लास फीगर [36-28-36]” कहा जाता है वह अब जल्द ही इतिहास बनने वाला है. महिलाओं के शरीर का जो अनुपात उन्हें सुंदरता प्रदान करता था वह अब धीरे धीरे मिट रहा है.
महिलाओं के आदर्श शारीरिक अनुपात [36-28-36] के अनुसार उनका वक्षस्थल सुडौल, कमर पतली और नितम्ब वक्षस्थल जितने बडे होते हैं. यह अनुपात ना केवल महिलाओं को सुंदर बनाता है बल्कि यह उनके स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी होता है. लेकिन अब महिलाओं का शरीर इस अनुपात पर आधारित नहीं रह पाता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि कामकाजी महिलाएँ सुडौल नहीं रह पाती क्योंकि काम के पीछे की चिंता और भागदौड़ उनकी शारीरिक संरचना को बदल देता है. इससे उनकी शारीरिक रचना पुरूषों जैसी ही होने लगती है.
डॉ. एलिजाबेथ केशडन के अनुसार, कॉर्पोरेट कार्यशील महिलाएँ अधिक मात्रा में हार्मोन उत्सर्जित करती हैं जिससे वे शारीरिक रूप से मजबूत बनती हैं जो उनके व्यवसाय के लिए उपयोगी होता है. लेकिन इससे उनकी प्राकृतिक शारीरिक सरंचना बदल जाती है.
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