Wednesday, June 3, 2009

सेक्स जीवन पर विपरित प्रभाव डालती 5 बातें

आज की स्पर्धात्मक और तनाव भरी जिंदगी में अपने साथी के साथ बिताए जाने वाले पल ऐसे होते हैं जो आप दोनों को राहत दे सकते हैं.
लेकिन यदि ये पल ही आप दोनों के लिए तनावपूर्ण साबित होने लगे तो इससे बुरा और क्या हो सकता है?

कभी कभी पति और पत्नी समझ ही नहीं पाते कि आखिर उन्हें चिडचिडाहट क्यों हो रही है। आखिर क्या वजह है कि दोनों में से कोई एक हर समय शिकायत ही करता रहता है

कुछ छोटी छोटी बातें ऐसी हैं जो यूँ तो पता नहीं चलती लेकिन उनसे आपका दाम्पत्य और सेक्स जीवन प्रभावित हुए बिना नहीं रहता:

तुलना करना:
किसी अन्य व्यक्ति के साथ तुलना करने से सामने वाले व्यक्ति को हीनभावना की शिकायत हो जाती है. दो व्यक्तियों की तुलना करना सही नहीं है. अपने साथी को यह बताना कि फँलाने व्यक्ति के कपडे पहनने का ढंग देखो, या बात करने का तरीका सिखो, या फिर “वह कितना सुंदर है”, “कितने बढिया कार है उसके पास” गलत है और इससे आपके साथी के अंदर कुंठा की भावना भर सकती है.
इससे सेक्स जीवन प्रभावित होता है. क्योंकि ऐसी बातों से आपके साथी के अंदर असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है.

सुना अनसुना: आपकी पत्नी आपसे कुछ कह रही है लेकिन आपका ध्यान टीवी पर चल रहे समाचार पर है! आपके पति आपसे कुछ पूछ रहे हैं लेकिन आपका ध्यान फोन पर अपनी सहेली के साथ जारी बातचीत पर है!

अपने साथी की बात को सुना अनसुना करना भी सही नहीं है. यदि कोई आपसे कुछ कह रहा है तो कोशिश करें कि उन्हें यह अहसास ना हो कि आप उनकी बात सुन नहीं रहे. जब आपका साथी आपसे बात करे तो उनकी तरह ही देखें और सुनें.

अपने परिवार के लिए समय: आज की भागदौड भरी जिंदगी में यह एक मुश्किल कार्य हो चुका है, लेकिन अपने परिवार के लिए पर्याप्त समय निकालना बहुत महत्वपूर्ण है.

इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि आप समय का पालन करें. ऐसा ना हो कि आपके घर में कोई पार्टी चल रही हो और आप ऑफिस में ही व्यस्त हों. कार्य और परिवार के बीच सही संतुलन सुखी दाम्पत्य जीवन अति आवश्यक है.

दूसरों के आगे अपने साथी की बुराई: मान लिजिए आप किसी पार्टी में गए और वहाँ अपने मित्रों के साथ बातचीत करते करते अपनी पत्नी के बारे में शिकायत करने लग गए. कई बार यह अनजाने में भी हो जाता है, लेकिन इससे बचना चाहिए. किसी दूसरे व्यक्ति के आगे अपने साथी की आलोचना करने से बचना चाहिए, चाहे वह कितना भी नजदीकी मित्र क्यों ना हो.

शिकायत ही शिकायत: क्या आप शिकायतों का अम्बार लगा देती हैं? कोई मानेगा तो नहीं इसे पर यह ऐसी बात है जिस पर हमारा ध्यान बहुत कम जाता है. तुमने आज तक कुछ नहीं किया, कपडे तो ध्यान से पहनो, पडोस वाली आंटी कितनी बुरी है, मौसम कितना खराब है... कहने का अर्थ यह कि चाहे आप अपने साथी से शिकायत करो या अन्य लोगों से या फिर चीजों से, लेकिन उससे बना बनाया मूड खराब हो सकता है.

इसके अलावा गडे मुर्दे उखाडना भी गलत है. यदि कोई बात महिनों पुरानी है तो उसे फिर से याद कर नई लडाई में ना बदलें.

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