अत्यधिक भद्रता:
भद्रता का अहसास कराना अच्छा है, परंतु अत्यधिक भद्रता उचित नहीं होती. आपका व्यवहार और हाव भाव शयनकक्ष में मूड को बना और बिगाड़ सकता है. तो जब जोश प्रगट करने का अवसर हो तो हिचकिचाएँ नहीं.
महत्वपूर्ण यह है कि आपका मित्र आपसे क्या अपेक्षा रखता है. मित्र की आशाओं को समझ पाने से काफी मुश्किलें आसान हो जाती है.
बातचीत ही बातचीत:
महिला हैं तो बातचीत तो होगी ही! यह एक वैज्ञानिक सत्य है कि महिलाएँ अधिक बातचीत करती हैं. बातचीत करना बेहद जरूरी भी है, लेकिन इसकी भी एक सीमा तो होती ही है. कभी ना खत्म होने वाली बातचीत शयनकक्ष के लिए उपयुक्त नहीं है.
सेक्स के लिए बातचीत के साथ साथ शारीरिक स्पर्श भी आवश्यक होता है. इसलिए बातचीत करते समय भी अपने मित्र को यह अहसास जरूर कराएँ कि आप उनके करीब हैं, मानसिक रूप से भी शारीरिक रूप से भी.
सेक्स दोनों के लिए:
भद्रता का अहसास कराना अच्छा है, परंतु अत्यधिक भद्रता उचित नहीं होती. आपका व्यवहार और हाव भाव शयनकक्ष में मूड को बना और बिगाड़ सकता है. तो जब जोश प्रगट करने का अवसर हो तो हिचकिचाएँ नहीं.
महत्वपूर्ण यह है कि आपका मित्र आपसे क्या अपेक्षा रखता है. मित्र की आशाओं को समझ पाने से काफी मुश्किलें आसान हो जाती है.
बातचीत ही बातचीत:
महिला हैं तो बातचीत तो होगी ही! यह एक वैज्ञानिक सत्य है कि महिलाएँ अधिक बातचीत करती हैं. बातचीत करना बेहद जरूरी भी है, लेकिन इसकी भी एक सीमा तो होती ही है. कभी ना खत्म होने वाली बातचीत शयनकक्ष के लिए उपयुक्त नहीं है.
सेक्स के लिए बातचीत के साथ साथ शारीरिक स्पर्श भी आवश्यक होता है. इसलिए बातचीत करते समय भी अपने मित्र को यह अहसास जरूर कराएँ कि आप उनके करीब हैं, मानसिक रूप से भी शारीरिक रूप से भी.
सेक्स दोनों के लिए:
सेक्स दोनों के लिए उपयोगी है. इसलिए सेक्स को अहसान के रूप में लेना गलत भी है और घातक भी. सेक्स के लिए प्रदान करने और प्राप्त करने की भावना बेहद जरूरी होती है लेकिन इस भावना का प्रदर्शन ठीक नही है.
इसलिए जब तक आपके मित्र को पूर्ण संतुष्टि ना मिल जाए तब तक अपने जोश को बनाए रखने का प्रयत्न करें और बजाए इसे एक रोजमर्रा के कार्य के रूप में देखने के
सेक्स से आनंद प्राप्त करें.
निष्क्रीयता:
अधिकतर भारतीय महिलाएँ शयनकक्ष में निष्क्रीय रहना पसंद करती हैं और अपने तथा अपने साथी के आनंद के लिए अपने साथी पर ही निर्भर रहती हैं. यह ठीक नहीं है. बजाए निष्क्रीय रहने के यदि सक्रियता से सेक्स का आनंद लिया जाए तो यह मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से लाभदायी होता है.
इसलिए जब तक आपके मित्र को पूर्ण संतुष्टि ना मिल जाए तब तक अपने जोश को बनाए रखने का प्रयत्न करें और बजाए इसे एक रोजमर्रा के कार्य के रूप में देखने के
सेक्स से आनंद प्राप्त करें.
निष्क्रीयता:
अधिकतर भारतीय महिलाएँ शयनकक्ष में निष्क्रीय रहना पसंद करती हैं और अपने तथा अपने साथी के आनंद के लिए अपने साथी पर ही निर्भर रहती हैं. यह ठीक नहीं है. बजाए निष्क्रीय रहने के यदि सक्रियता से सेक्स का आनंद लिया जाए तो यह मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से लाभदायी होता है.
विवेचन:
सेक्स के बारे में विवेचन हद से अधिक हो, तो वह ठीक नही माना जाता है. अपने मित्र को अपनी रूचियों तथा अरूचियों के बारे मे बताना गलत नही है, लेकिन उनके हर कदम पर नजर रखना भी सही नही है.
अपने मित्र को पूरा मौका दें और कुछ नया करते रहें. इससे सेक्स जीवन में समरसता बनी रहती है.
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